समी 16 साल‌ की उम्र में ही रीवर्स सुइंग के माहिर

हिंदुस्तानी फ़ास्ट बोलर मुहम्मद समी ने वेस्ट इंडीज़ के ख़िलाफ़ कोलकता के तारीख़ी मैदान ईडन गार्डन्स में सचिन तेंदुलकर की विदाई सीरीज़ के दौरान अपने टेस्ट केरिय‌र का मुतास्सिरकुण आग़ाज़ किया और पहले ही दिन रीवर्स सुइंग के ज़रिया सब को मुतास्सिर करने के इलावा 4 विकटें भी हासिल कीं।

उनके बचपन के कोच बदरुद्दीन सिद्दीक़ी के लिए मुहम्मद समी का ये शानदार मुज़ाहरा हैरानकुन नहीं क्योंकि बदरुद्दीन का कहना है कि अंडर 16 के दिनों में ही वो समी को रीवर्स सुइंग की प्रैक्टिस करवाते थे। समी के इबतिदाई दिनों के कोच बदरुद्दीन ने ख़बररसां एजेंसी पी टी आई से इज़हार-ए-ख़्याल करते हुए कहा कि मैं दूसरों के बारे में तो नहीं जानता लेकिन समी ने ये 16 साल‌ से ही मौजूद सलाहियत है क्योंकि वो अंडर 16 क्रिकेट में ही रीवर्स सुइंग के माहिर थे।

कोच के मुताबिक‌ राणजी ट्रोफी के बेशतर मुक़ाबलों में समी ने रीवर्स सुइंग का बेहतर मुज़ाहरा किया है। बदरुद्दीन ने टेस्ट क्रिकेट में समी की कामयाबी का राज़ बताते हुए कहा कि मुरादाबाद के अतराफ़ में जूनियर सतह के जो टूर्नामेंटस होते थे वहां समी मुंतज़मीन से दर्ख़ास्त करते थे कि उन्हें मसतामला लाल गेंदें उन्हें दें जिस के बाद में देखता था कि वो इन पुरानी गेंदों पर एक सिम्त पालिश करते हुए उसे किसी क़दर नई गेंद की शक्ल देते और इससे रीवर्स सुइंग की प्रैक्टिस करते।

बदरुद्दीन ने मज़ीद कहा कि समी के लिए वो वक़्त बिलकुल बेहतर था जब उन्होंने दिल्ली में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ अपने वन्डे केरिय‌र का आग़ाज़ किया था और उसके बाद ही ये जानते थे कि सलेक्टरों के लिए ये मुश्किल फ़ैसला होता कि वो समी को तवील अर्सा तक टेस्ट क्रिकेट से दूर रखें। बदरुद्दीन ने मज़ीद कहा कि अगर आप समी का फ़स्ट क्लास रिकार्ड देखें तो वो हर मुक़ाबला में तक़रीबन 4 विकटों के एतबार से 18 मुक़ाबलों में 71 विकटें हासिल करचुके हैं।

नीज़ पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कम स्कोर वाले मुक़ाबला में बेहतर मुज़ाहिरे ने उनके एतिमाद को काफ़ी बुलंद किया है। समी ने बैनुल-अक़वामी मेयार की बौलिंग की प्रैक्टिस की है और तेज़ रफ़्तार गेंदों को दोनों सिम्त सुइंग कराने की सलाहियत रखते हैं और रीवर्स सुइंग की सलाहियत ने उन्हें एक ख़तरनाक बोलर बनादिया है।