सयासी मैदान में भी मुस्लमानों को तहफ़्फुज़ात ज़रूरी

वरंगल, ०७ जनवरी ( सियासत डिस्ट्रिक्ट न्यूज़) मर्कज़ी-ओ-रियास्ती हुकूमतों की जानिब से मुस्लमानों को दिए जाने वाले तहफ़्फुज़ात की मज़ीद वज़ाहत नागुज़ीर है। तालीम ,मुलाज़मतों और सयासी जमातों और इंतिख़ाबी मैदानों में भी मजमूई और मुस्तक़िल तहफ़्फुज़ात ही का बिल क़बूल होंगी। गुज़शता छः दहों से मुसलसल पसमांदगी में ग़र्क़ होते चले जा रहे हैं।और सयासी जमातें ऐन इंतिख़ाबात से पहले मुस्लमानों के हक़ में चंद ज़मरों मैं तहफ़्फुज़ात दे कर लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।

और बाद इंतिख़ाबात ये मौज़ू मुस्लिम दुश्मन जमातों की मुख़ालिफ़त के हवाले हो जाते हैं। इस किस्म का सिलसिला हिंदूस्तान में मुस्लमानों की क़िस्मत पे लादा गया है। मर्कज़ी हुकूमत की जानिब से मायनारिटी को 4.5 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात फ़राहम करने के फ़ैसला को ऐडवोकेट अबू बकर ने मुसबत पहल क़रार देते होई कहा कि इन दिए जाने वाले तहफ़्फुज़ात में मुस्लमानों की हिस्सादारी क्या होगी? क्योंकि मायनारिटी में ईसाई,सीख और जैन के अलावा कई और तबक़ा भी शामिल हैं।

जबकि ईसाई तबक़ा में एक बड़े हिस्सा को पहले से ही तहफ़्फुज़ात मुख़तस हैं।मर्कज़ी हुकूमत इस ऐलान कर्दा तहफ़्फुज़ात के ज़मरों की वज़ाहत करते होई उस को मजमूई तौर पर मज़ीद मुस्तहकम करना ज़रूरी है। मर्कज़ी हुकूमत को मुस्लमानों की पसमांदगी दूर करने के लिए रंगा नाथ मिश्रा और सच्चर कमेटी के सिफ़ारिशात पर अमल करने के लिए मूसिर नुमाइंदगी नागुज़ीर है।मुस्लमानों की पसमांदगी को दूर करने के लिए इन दोनों कमीशन की सिफ़ारिशात में वाज़िह तौर पर कहा गया कि मुस्लमानों की नमाईनदगी असैंबलीयों और पार्लीमैंट में भी तहफ़्फुज़ात दे कर बढ़ाया जाए।मुस्लमानों की पसमांदगी की बुनियादी और अहम वजहा ही यही है कि उनके मसाइल की आवाज़ मूसिर अंदाज़ में लोकल बॉडीज़,कारपोरेशन , असैंबली और पार्लीमैंट तक नहीं पहुंचती है।

तालीमी मैदानों में और मुलाज़मतों के इलावा मुस्लमानों की आवाज़ और उन के मसाइल को लोकल बॉडीज़ , कारपोरेशन ,असैंबली और पार्लीमैंट तक मसाइल की आवाज़ पहुंचाने के लिए इंतिख़ाबी मैदान में भी तहफ़्फुज़ात नागुज़ीर है। इस मौक़ा पर ऐडवोकेट अबू बकर ने जमात-ए-इस्लामी हिंद,जमईता उल्मा और मुस्लिम ज़िम्मा दारान, सियासत दां, दानिशोरं और मज़हबी सयासी समाजी उनवानों पर दिलचस्पी और नज़र रखने वाले तबक़ा से गुज़ारिश की कि वो इस मज़मून को अवामी और क़ौमी सतह पर ज़ेर-ए-बहिस लाकर मुस्लमानों को इस मुल्क के समाजी मुसावात की सफ़ में लाने की जद्द-ओ-जहद करें।ताकि हम ख़ुद हमारे मसाइल को सुनाने के लिए हर कारपोरेशन ,असैंबली और पार्लीमैंट में मौजूद रह सकें।