सय्यदना उमर फ़ारूक़ रज़ी० के आज़ाद करदा ग़ुलाम असलम बयान करते हैं कि एक दफ़ा मदीना मुनव्वरा में कुछ ताजिर आए। उन्होंने ईदगाह में पड़ाव डाला। सय्यदना फ़ारूक़ आज़म ने हज़रत अबदुर्रहमान बिन औफ़ रज़ी० से फ़रमाया क्यों ना आज हम उन लोगों की चौकीदारी करें?। हज़रत अबदुर्रहमान बिन औफ़ ने मुवाफ़िक़त फ़रमाई और दोनों हज़रात रात के वक़्त उनकी निगहबानी में मसरूफ़ हो गए और रात भर नमाज़ भी पढ़ते रहे।
इसी दौरान सय्यदना फ़ारूक़ आज़म रज़ी० ने एक बच्चे के रोने की आवाज़ सुनी तो उसकी माँ से कहा अल्लाह से डरो और अपने बच्चे का ख़्याल करो। इस के बाद आप अपनी जगह वापस आ गए।
रात के आख़िरी हिस्से में बच्चे के रोने की आवाज़ आप ने दुबारा सुनी तो उसकी माँ से फिर फ़रमाया कि तुम पर अफ़सोस! आख़िर तुम कैसी माँ हो?। मैं देख रहा हूँ कि रात भर तुम्हारा बच्चा सुकून से नहीं सो सका। इस ख़ातून ने कहा अल्लाह के बंदे! में इसे खाना खिलाना चाहती हूँ, लेकिन ये खाता ही नहीं है। सय्यदना फ़ारूक़ आज़म ने दरयाफ्त फ़रमाया क्यों नहीं खाता?। माँ ने कहा क्योंकि अमीरुल मोमिनीन सय्यदना उमर फ़ारूक़ का क़ानून है कि वो किसी बच्चे का वज़ीफ़ा उस वक़्त मुक़र्रर फ़रमाते हैं, जब वो माँ का दूध पीना छोड़ दे।
उन्होंने हर दूध छुड़ाए हुए बच्चे का वज़ीफ़ा मुक़र्रर कर रखा है, इसलिए मैं इस बच्चे का दूध छुड़ाने की कोशिश कर रही हूँ। सय्यदना फ़ारूक़ आज़म रज़ी० ने पूछा तुम्हारे बेटे की उम्र कितनी है?।
इस ने बताया कि अभी वो चंद महीनों का है। आप ने फ़रमाया इस के दूध छुड़ाने में जल्दी ना करो। फिर आप ने सुबह की नमाज़ अदा की तो दौरान नमाज़ आप की आँखों से आँसुओं की झड़ी लग गई। शिद्दत गिरिया से उन की किराअत की आवाज़ भी लोगों तक ठीक से ना पहुंची। बादअज़ां आप ने ख़ुद को मुख़ातिब करते हुए फ़रमाया ऐ उमर! तेरा बुरा हो, तेरी वजह से कितने मुसलमानों के बच्चे हलाकत को जा पहुंचे यानी उन के साथ फ़य्याज़ी का सुलूक नहीं किया गया।
फिर आप ने एक मुनादी को हुक्म दिया कि वो ऐलान कर दे कि अपने बच्चों का दूध छुड़ाने में जल्दबाज़ी से काम ना लो, हम हर मुसलमान बच्चे का वज़ीफ़ा मुक़र्रर किए देते हैं। फिर ये हुक्मनामा आप ने पूरी इस्लामी रियासत के हुक्काम को इरशाद कर दिया।