सरकारी इदारों का एतिमाद बहाल करना ज़रूरी: चिदम़्बरम

सी ए जी के साथ मिल कर काम करने और कारकर्दगी को मोस्सर बनाने वज़ीर फ़ैनानिस का इरादा

वज़ीर फ़ैनानसपी चिदम़्बरम ने कहा कि वो सी ए जी के साथ मिल कर काम करने का इरादा रखते हैं ताकि तमाम इदारों में भरोसा बहाल करने और उन्हें एतिमाद में लाने की कोशिशों से उठने वाले मनफ़ी तास्सुरात(नकारात्मक नज़रिया) को दूर किया जा सके। यहां पर कमपटरोलर एंड आडीटर जनरल कान्फ़्रैंस से ख़िताब करते हुए पी चिदम़्बरम ने कहा कि सरकारी आडीटर और हुकूमत ने एक दूसरे के ख़िलाफ़ मनफ़ी(नकारात्मक) सोच पैदा की है, ख़ासकर हालिया आडेट की तहकीकात के बाद दोनों के दरमियान(बीच‌) मनफ़ी (नकारात्मक)ख़्याल फ़रोग़ पाया है।

ये बड़ी बदबख़ती की बात है कि बाअज़ औक़ात अवामी सतह पर बदगुमानियां पैदा हुई हैं। इसी सूरत में हमारा मौक़िफ़ गैर वाज़िह होजाता है। सी ए जी और हुकूमत को इस से जो नुक़्सानात होरहे हैं, इस का ख़मयाज़ा भी भुगतना पड़ता है। बिलाशुबा हुकूमत और सी ए जी की कारकर्दगी में फ़ित्री अमर पाया जाता है। चिदम़्बरम ने मज़ीद कहा कि ये मेरा इरादा और मक़सद है कि मैं सी ए जी के साथ मिल कर काम करूं ताकि सरकारी इदारों के भरोसे और एतिमाद(यखीन‌) को बहाल किया जा सके और इस पर मनफ़ी असरात मुरत्तिब ना हूँ।

हुकूमत की तरफ‌ से जब पॉलीसी बनाई जाती है तो इस पर अक्सर खामियां निकाली जाती हैं और आडेट का काम तो हमेशा फैसला कुन अमल होता है। लिहाज़ा दोनों यानी हुकूमत और सी ए जी को एक दूसरे की खराबियों से बाहर निकलने की ज़रूरत है। उन्हों ने इस बात को रोशन करते हुए कहा कि इदारे और इन्फ़िरादी शख्सियतें तदरीसी दूर से गुज़रते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के हालिया ख़्याल ने शफ़्फ़ाफ़ियत की एक आला सतह को उजागर किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर को राय दी थी कि क़ुदरती वसाइल को हराज करना ही वाहिद(एकमात्र) तरीका नहीं है। सी ए जी दस्तूर हिंद का एक इदारा है। इस की कारकर्दगी और फ़राइज़ की अंजाम दही पारलीमानी क़ानून के तहत होती है बल्कि ये कहा जाय तो ग़लत नहीं होता कि सी ए जी एक दस्तूरी दफ़्तर भी है।

इस मसले पर हाल ही में पार्ल्यमंट के अंदर ज़बरदस्त हंगामा हुआ था। सी ए जी ने कोयला ब्लॉक्स तख़सीस अस्क़ाम के मसले प्रैइ पी ए हुकूमत के अहम क़ाइदीन के चेहरे बेनकाब किए थे।