सरकारी-गैर सरकारी कब्जे से वक्फ संपत्तियों को छुड़ाने के लिए सुन्नी-शिया समुदाय के लोग एक मंच पर आए

नई दिल्ली: वक्फ संपत्तियों को सरकारी और गैर सरकारी कब्जे से छुड़ाने के लिए सुन्नी-शिया समुदाय के लोग एक मंच पर आ गए हैं। उन्होंने रविवार को वक्फ संपत्तियों को छुड़ाने का ऐलान किया है। चुनाव के दौरान छेड़ी गई इस मुहिम के राजनीतिक मतलब भी निकाले जा रहे हैं। राजधानी के कर्बला जोरबाग में हुए इस बड़े प्रोग्राम में मौलाना कल्बे जव्वाद के अलावा दिल्ली के जाने-माने सुन्नी नेता सिराजुद्दीन कुरैशी, हफीजउर्रहमान, मौलाना हसनैन बकाई, मौलाना शबीब हैदर (बिहार) समेत कई राज्यों के उलेमा शामिल हुए।

हाल ही में कर्बला जोरबाग की करोड़ों की जमीन पर कब्जे को मौलाना कल्बे जव्वाद के नेतृत्व में अंजुमन हैदरी ने खाली कराया है। सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे इस मामले में सुन्नी आलिम और एडवोकेट महमूद प्राचा मौलाना के साथ थे। मौलाना कल्बे जव्वाद को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह का करीबी माना जाता है।

हालांकि कर्बला की जमीन का केस जीतने पर वकील महमूद प्राचा और मौलाना को सम्मानित करने के लिए इस जलसे का आयोजन हुआ। लेकिन इन दोनों ने इसे शिया-सुन्नी एकता और वक्फ संपत्तियों को कब्जे से छुड़ाने की मुहिम में तब्दील कर दिया।

प्राचा ने कहा कि देश में करीब 50 लाख करोड़ की वक्फ संपत्तियों पर कब्जा है। हमें दो-चार मौलाना कल्बे जव्वाद जैसे उलेमा मिल जाएं तो इस मुहिम को सफल बनाया जा सकता है। मौलाना कल्बे जव्वाद ने तमाम उलेमाओं और सुन्नी-शिया मोमनीन को भरोसा दिया कि वह ऐसी किसी भी मुहिम का नेतृत्व करने से पीछे नहीं हटेंगे जो हमारी जायज जमीनों की वापसी की मांग करेगी। उन्होंने एडवोकेट महमूद प्राचा को एक ‘जुल्फिकार’ (तलवार) भेंट किया और उनकी दस्तारबंदी की गई।

दिल्ली के सुन्नी नेता सिराजुद्दीन कुरैशी ने मौलाना कल्बे जव्वाद से शिकायत की हमारे सुन्नी-शिया लोगों की मुलाकातें बढ़नी चाहिए। हम इस मुल्क में क्या नहीं कर सकते। पटना से आए मौलाना शबीब ने कहा कि अगर हमारे अपने लोग यह मुल्क छोड़कर न गए होते तो आज इस मुल्क का नक्शा कुछ और होता। हमारी जमीन के दूसरे लोग कस्टोडियन न होते।