तेलंगाना हुकूमत ने 15 मह्कमाजात में 15,000 मख़लूवा जायदादों पर तक़र्रुरात का फैसला किया है। ताहम उन मह्कमाजात की फ़ेहरिस्त में महकमा अक़लीयती बहबूद शामिल नहीं जिस में दीगर मह्कमाजात के मुक़ाबले मुलाज़मीन की शदीद क़िल्लत है।
अलाहिदा तेलंगाना रियासत के क़ियाम के बाद महकमा अक़लीयती बहबूद और उस के तहत इदारों में मुलाज़मीन की तक़सीम के सबब इदारों में ओहदेदारों और मुलाज़मीन की क़िल्लत पैदा हो गई जिस से अक़लीयती इदारों की कारकर्दगी मुतास्सिर हो रही है।
सेक्रेट्रीएट के इलावा अज़ला में अक़लीयती बहबूद के ओहदेदारों और मुलाज़मीन की कमी ने मुख़्तलिफ़ स्कीमात पर अमल आवरी की रफ़्तार को सुस्त कर दिया है।
अक़लीयती बहबूद के मुख़्तलिफ़ इदारों में भी स्टाफ़ की कमी का सामना है। महकमा ने हुकूमत से सिफ़ारिश की थी कि ओहदेदारों और स्टाफ़ की क़िल्लत से निमटने के लिए 280 अफ़राद का इबतिदाई मरहले में तक़र्रुर किया जाए ताकि महकमा बेहतर तौर पर ख़िदमात अंजाम दे सके लेकिन अफ़सोस कि हुकूमत ने पहले मरहला के तक़र्रुरात में महकमा अक़लीयती बहबूद को शामिल नहीं किया।
हुकूमत के इस मौक़िफ़ से अक़लीयती बहबूद के ओहदेदारों में मायूसी पाई जाती है क्युंकि उन का मानना है कि स्टाफ़ की कमी स्कीमात पर अमल आवरी में रुकावट बन रही है।
हुकूमत ने कमीशन को हिदायत दी है कि मौजूदा रहनुमायाना ख़ुतूत के मुताबिक़ तक़र्रुरात अमल में लाए। हुकूमत ने तक़र्रुरात के लिए उम्र की हद में 34 से इज़ाफ़ा करते हुए 44 साल किया है।