देवी देवताओं की तसावीर और मुजस्समों के ख़िलाफ़ दरख़ास्त , उड़ीसा हाइकोर्ट की हुकूमत को नोटिस
कटक । 29 अगस्ट । ( सियासत डाट काम ) सरकारी दफ़ातिर और पुलिस स्टेशनस के अहाते में मुनादिर , देवी देवताओं के मुजस्समे और तसावीर को निकाल देने की ख़ाहिश करते हुए मफ़ाद-ए-आम्मा की दरख़ास्त को उड़ीसा हाइकोर्ट ने समाअत के लिए क़बूल कर लिया और रियासती हुकूमत को नोटिस जारी करते हुए अंदरून चार हफ़्ते जवाब देने की हिदायत दी ।
जस्टिस इंदिरा जीत मोहंती और जस्टिस बिश्वा नाथ महापात्रा पर मुश्तमिल हाइकोर्ट डिवीज़न बेंच ने चीफ सैक्रेटरी , मोतमिद दाख़िला और डायरेक्टर जनरल पुलिस को नोटिस जारी करते हुए दरख़ास्त गुज़ार अभयराम मलिक की पी आई एल पर जवाबी हलफनामा दाख़िल करने की हिदायत दी। दरख़ास्त गुज़ार की तरफ़ से पेश होते हुए वकील लकरोदकुमार रावत ने कहा कि सैक्युलरिज़म दस्तूर का एक बुनियादी जुज़ु है और रियासत का अपना कोई मज़हब नहीं होना चाहीए ।
इस तरह सरकारी एजंसियां और इस से मरबूत इदारे भी अवामी ज़ंगी में मख़सूस मज़हब की तब्लीग़ ना करें। दरख़ास्त गुज़ार ने कई सरकारी दफ़ातिर के अहाता बिशमोल भूबनेश्वर में वाक़्य सक्रियट्रेट में मुनादिर की तसावीर बतौर सबूत पेश की । उन्होंने दावा किया कि कटक के 18 पुलिस स्टेशनों के बिशमोल 10 के अहाते में मंदिरें वाक़्य हैं। दरख़ास्त गुज़ार ने हाइकोर्ट से ये हुक्म देने की भी ख़ाहिश की कि सरकारी दफ़ातिर की दीवारों , राहदारी , लिफ्ट्स और बाब अलद अखिला पर देवी देवताओं के मुजस्समे और तसावीर को निकाल दिया जाये ।
दरख़ास्त गुज़ार ने उसे अवाम के लिए तकलीफ़देह क़रार दिया और कहा कि सरकारी दफ़ातिर में इस तरह की इबादत गाहैं तिजारती मराकज़ में तब्दील होचुकी हैं जहां मज़हबी रसूमात और अहम तहवारों के मौक़े पर जश्न मनाने के लिए अवाम से फंड्स इकट्ठा किए जाते हैं।