सरकारी मंसूबों में अब फर्जी ‘आधार’ का इस्तेमाल

रांची : रियासती हुकूमत की तरफ से चल रहे मंसूबों में अब फर्जी ‘आधार’ का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। कौशल विकास मिशन में ट्रेनिंग लेने आये उग्रवाद मुतासिर जिला लातेहार के रिशि सिंह ने अपनी शिनाख्त बताने के लिए जिस आधार कार्ड का इस्तेमाल किया, वह फर्जी पाया गया है़।

रिशि सिंह को उग्रवाद मुतासिर जिला लातेहार के नौजवानों के साथ ट्रेनिंग देने के लिए मार्च- अप्रैल 2015 में रांची लाया गया था। इनका सलेक्शन उग्रवाद मुतासिर जिलों के नौजवानों को ट्रेनिंग कर रोजगार दस्तयाब कराने के लिए शुरू की गयी ‘रोशनी’ प्रोजेक्ट के तहत किया गया था। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत दीन दयाल ग्रामीण कौशल विकास मंसूबा के जेरे नज़र मुल्क के 27 उग्रवाद मुतासिर जिलों के नौजवानों को तरबियत करने के लिए की गयी है।

27 जिलों से 50 हजार नौजवानों को तरबियत देने के लिए बनायी गयी इस मंसूबा की कुल लागत 244.77 करोड़ रुपये है। मंसूबा के तहत चुने गये नौजवानों को 90 दिनों में 576 घंटे तक तरबियत देने की तजवीज है। इस मंसूबा के तहत लातेहार के 10-12 नौजवानों को तरबियत करने के लिए रांची लाया गया था। इन्हें 90 दिनों तक रांची में ट्रेनिंग दिया जाना था।

हालांकि इनमेें से किसी ने भी 90 दिनों का तरबियत पूरा नहीं किया। ज़्यादातर नौजवान 10-15 दिनों में ही ट्रेनिंग छोड़ कर चले गये। नौजवानों की तरफ से शिनाख्त कार्ड के तौर में आधार का इस्तेमाल किया गया था। रिशि सिंह के आधार का नंबर 785164981241 था। उसने वालिद का नाम शिव सिंह बताया था। पता के तौर में बरवाडीह ब्लाक का पोखरी कला पंचायत दर्ज था। इसी ‘आधार’ और पता के सहारे बैंक अकाउंट भी खोलने के लिए दरख्वास्त दिया था। जांच पड़ताल के दौरान रिशि सिंह की तरफ से दिया गया आधार फर्जी पाया गया।