सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को रियासती हुकूमत अब अंडा खिलाना चाहती है। पहली से आठवीं कक्षा तक में पढ़ने वाले करीब 40 लाख बच्चों के लिए इंसानी वसायल महकमा ने अंडा खिलाने का तजवीज तैयार किया है।
पहली से आठवीं क्लास तक के बच्चों को हफ्ताह में दो से तीन दिन अंडा देने की मंसूबा है। इस पर सालाना 192 करोड़ रु खर्च होंगे। यह मंसूबा लागू होगी या नहीं, अभी यह कहना मुश्किल है।
इससे पहले मौजूदा वजीरे आला शरीक पशुपालन वज़ीर अर्जुन मुंडा की हिदायत पर बच्चों को दूध पिलाने की मंसूबा बनी थी, जो शुरू नहीं हो सकी। पशुपालन विभाग के तहत गाय डाइरेक्टोरेट ने बच्चों को बेहतर गिजा देने के लिये यह मंसूबा बनायी थी।
साथ ही रियासत में दूध की खपत और दूध पैदावार को बढ़ाना भी इस मंसूबा का मक़सद था। इसके तहत पहली से पांचवीं क्लास तक के तकरीबन 23 लाख बच्चों को इतवार और दीगर छुट्टी का दिन छोड़कर हर रोज 200 मिली दूध देने की तजवीज था। इस मंसूबा पर सालाना 161 करोड़ रु खर्च होने थे। मंसूबा के लिए रकम फ्लाह महकमा के बच्चे की तरक़्क़ी मंसूबा और इंसानी वसायल महकमा के मिड डे मिल मंसूबा से ली जायेगी। पर मुतल्लिक़ महकमा ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। कई लोगों का यह भी मानना था कि इतने ज़्यादा बच्चों तक रोज दूध पहुंचाने में परेशानी है। गौरतलब है कि स्कूली बच्चों के लिए उनका पैदाइश दिन मनाने और उनके बाल काटने के लिए नाई रखे जाना का तजवीज भी झारखंड में तैयार हुआ था, जिसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका।