सरकारी स्कूलों में असातिज़ा की कसीर जायदादें मख़लुआ

रियासत कर्नाटक के सरकारी प्राइमरी और हाई स्कूल्स में असातिज़ा के 13085 ओहदे मख़लुआ हैं। एक जानिब तालीम‍ ए‍ याफ्ता बेरोज़गार नौजवान उन ओहदों के हुसूल की ख़ातिर एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं तो दूसरी तरफ़ महकमा तालीमात को मालीयाती डिपार्टमेंट की मंज़ूरी का इंतेज़ार है।

मगर महकमा मालियात की जानिब से गुज़श्ता एक साल से हुकूमत की पेश कर्दा तजावीज़ मंज़ूर नहीं की जा रही हैं। ज़राए के बमूजब रियासत के सरकारी हाई स्कूल्स में 1924 हेड मास्टर्स और प्राइमरी मदारिस में 3010 असातिज़ा के ओहदे ख़ाली पड़े हैं।

इस मर्तबा 8151असातिज़ा मुलाज़्मत से सबकदोश होने जा रहे हैं। इलावा अज़ीं हाई स्कूल लेवल पर 141 मुस्तहिक़ और तज़ुर्बाकार असातिज़ा को तरक़्क़ी नहीं दी गई है जिन को प्रमोशन देने के लिए हाईकोर्ट ने 16जून 2011 को ही फ़ैसला दिया है।

मगर अफ़सोस कि इस पर हनूज़ अमल आवरी नहीं हुई और फिर अदालत की हिदायत के मुताबिक़ 483 सदर मदर्सेन के ओहदों पर रास्त तक़र्रुत करने हैं। मगर हुकूमत ने इस ख़सूस में कोई इक़दाम नहीं किया। मख़लुआ जायदादों पर भर्ती नहीं किए जाने की वजह से मौजूदा असातिज़ा पर इज़ाफ़ा बोझ पड़ रहा है।

हुकूमत की इस तसाहेली के बाइस तलबा ख़ानगी मदारिस का रुख कररहे हैं। जब तक इन ओहदों को भर्ती करने के तवील मुद्दती मीयाद का इख़तेताम अमल में आता है इस वक़्त तक मुस्तहिक़ नौजवानों की उम्रें अपनी हद से तजावुज़ कर जाती हैं। इसके बाद उन्हें ख़ानगी मदारिस में ही मुलाज़मतें मिल सकती हैं जिसके लिए लाखों रुपये डोनेशन अदा करना लाज़िमी रहता है जो उनके बस
की बात नहीं है। अगर हुकूमत हर साल मख़लुआ ओहदे पर करने के इक़दामात करती है।

तालीम‍ ए‍ याफ्ता नौजवानों को सरकारी मदारिस में मुलाज़्मत मिल सकती है ना तो बच्चों की तालीम मुतास्सिर होगी और ना ही मौजूदा असातिज़ा पर इज़ाफ़ा बोझ पड़ेगा।ज़रूरत इस बात की है कि रियास्ती हुकूमत इस ख़सूस में संजीदा इक़दामात करे।