हिफ़्ज़ान-ए-सेहत के शोबा में बड़े पैमाने पर अदम मुसावात का एतराफ़ करते हुए वज़ीर-ए-सेहत ग़ुलाम नबी आज़ाद ने आज कहा कि हुकूमत 12 वीं पंच साला मंसूबे में यूनीवर्सल हेल्थ केयर (आलमी मयार की हिफ़्ज़ान-ए-सेहत) को यक़ीनी बनाएगी और तमाम पब्लिक हैल्थ मराकज़ पर मुफ़्त जनरक अदवियात की फ़राहमी के लिए मूसिर इक़दामात किए जा रहे हैं ताकि मरीज़ों की जेब पर आइद होने वाले मसारिफ़ कम हो सके।
मिस्टर ग़ुलाम नबी आज़ाद सेहत के शोबा पर समाजी अवामिल के उनवान पर क़ौमी मुशावरती इजलास से ख़िताब कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 12 वीं मंसूबे में यूनीवर्सल हैल्थ केयर की फ़राहमी को यक़ीनी बनाया जाएगा और तमाम पब्लिक हेल्थ मराकज़ पर जनरक अदवियात की मुफ़्त फ़राहमी के लिए इक़दामात किए जाऐंगे ताकि मरीज़ों पर माली बोझ कम हो सके।
सेहत के शोबा में जेब ख़र्च का तक़रीबन 70 फ़ीसद अदवियात पर ख़र्च होता है। ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि हिफ़्ज़ान-ए-सेहत का निज़ाम ख़ुद एक अहम मौज़ू है। हिफ़्ज़ान-ए-सेहत के शोबा में पाए जाने वाले अदम मुसावात को ख़तम करने की ज़रूरत है। इस मक़सद से हुकूमत ने कई प्रोग्राम्स शुरू किए हैं ताकि मयारी तिब्बी ख़िदमात की आम आदमी तक रसाई हो सके।
उन्होंने कहा कि हुकूमत समाजी अदम मुसावात के चैलेंज से निमटने के लिए पाबंद अह्द है। अगर इसके लिए मज़ीद सरमाया कारी की ज़रूरत होगी तो हम इसके लिए भी तैयार हैं। उन्होंने कहा कि तवील अर्से से सेहत के मुआमला में कोताही और समाजी सूरत-ए-हाल का अंदाज़ा होने के बावजूद मूसिर इक़दामात नहीं किए जा सके लेकिन हुकूमत बड़े पैमाने पर ठोस तब्दीलीयां यक़ीनी बनाएगी।