म्यांमार : मयामार सरकार ने मौन्ग्दाव कसबे के रोहिंग्या मुस्लिमो को मछली मारने पे बैन कर दिया है देश की बॉर्डर गौर्ड पुलिस ने ये पाबन्दी लगाईं है. बॉर्डर गौर्ड पुलिस के कमांडर आले थान क्याव ने अपने बायाँ में कहा कि रोहिंग्या मुस्लिम अब मछली के शिकार के लियें नदियों में नही जा पाएंगे ,उन्होंने कहा है बैन का आदेश ऊपर से आया है
इस कसबे में रोहिंग्या मुस्लिम ही मछली मारने का काम करते है और उनकी जीविका का एकमात्र साधन यही है अब इनके पास कोई दूसरा व्यासाय नही है जिससे वो अपने परिवार को पाल सके .
बर्मी इतिहासकारों का दावा है कि रोहिग्या शब्द बीसवीं शताब्दी के मध्य अर्थात 1950 के दशक से पहले कभी प्रयोग नहीं हुआ और इसका उद्देश्य वह बंगाली मुसलमान हैं जो अपना घर बार छोड़कर अराकान में आबाद हुए। राष्ट्रपति थीन सेन और उनके समर्थक इस दावे को आधार बनाकर रोहिग्या मुसलमानों को नागरिक अधिकार देने से इन्कार कर रहे हैं किन्तु यह दावा सही नहीं है रोहिग्या शब्द का प्रयोग अट्ठारहवीं शताब्दी में प्रयोग होने का ठोस प्रमाण मौजूद है। बर्मा में अरब मुसलमानों के प्रविष्ट होने और रहने पर सभी एकमत हैं।
उनकी बस्तियां अराकीन के मध्यवर्ती क्षेत्रों में हैं जबकि रोहिग्या मुसलमानों की अधिकांश आबादी बांग्लादेश के चटगांव डिविजन से मिली अराकान के सीमावर्ती क्षेत्र मायो में आबाद है। अराकान में बंगाली मुसलमानों के बसने के प्रथम प्रमाण पंद्रहवीं ईसवी शताब्दी के चौथे दशक से मिलते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बर्मा पर जापान के क़ब्ज़े के बाद आराकान में बौद्धमत के अनुयाई रख़ाइन और रोहिंग्या मुसलमानों के मध्य रक्तरंजित झड़पें हुईं। रख़ाइन की जनता जापानियों की सहायता कर रही थी और रोहिंग्या अंग्रेज़ों के समर्थक थे इसीलिए जापान ने भी रोहिंग्या मुसलमानों पर जम कर अत्याचार किया। जनवरी वर्ष 1948 में बर्मा स्वतंत्र हो गया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वर्ष 1948 में कुछ रोहिंग्या मुसलमानों ने अराकान को एक मुस्लिम देश बनाने के लिए सशस्त्र संघर्ष आरंभ किया। वर्ष 1962 में जनरल नी विंग की सैन्य क्रांति तक यह आंदोलन बहुत सक्रिय था।
जनरल नी विंग की सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों के विरुद्ध व्यापक स्तर पर सैन्य कार्यवाही की जिसके कारण कई लाख मुसलमानों ने वर्तमान बांग्लादेश में शरण ली। उनमें से बहुत से लोगों ने बाद में कराची का रूख़ किया और उन लोगों ने पाकिस्तान की नागरिकता लेकर पाकिस्तान को अपना देश मान लिया। मलेशिया में भी पच्चीस से तीस हज़ार रोहिंग्या मुसलमान आबाद हैं।