सरकार बदले लेकिन आर्थिक नीतियां बनाए

राष्ट्रपति सीआईटीयू एके पदनाभन का दावा

कोयम्बटूर: सीआईटीयू ने आज आरोप लगाया है कि हमारा देश तेजी के साथ तानाशाही की दिशा अग्रसर है और समाज के सभी वर्गों सहित मजदूरों और छात्रों से कहा है कि मौजूदा शासकों के घिनौने महत्वाकांक्षाओं के खिलाफ संघर्ष के लिए एकजुट हो जाएं। सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष एके पदमनाभन ने बताया कि सत्ताधारी लोग अपने विचार जनता पर थोपने देशभक्ति और राष्ट्रवाद की नई तावील पेश करने की कोशिश में हैं और चाहते हैं कि दूसरे भी उनके नक्शेकदम पर चलें।

बैंक फेडरेशन ऑफ इंडिया के राज्य सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र में 1991 से सत्तारूढ़ सरकारें फ़्राखदलाना आर्थिक नीतियों का पालन करना है, जिससे मजदूर वर्ग और सार्वजनिक क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हो गया। उन्होंने बताया कि सरकार का मुख्य एजेंडा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसयू) और बैंकों से पूंजी गैर संलग्न किया जाए ताकि कॉरपोरेट सेक्टर को अधिकतम लाभ पहुंचाया जाए और सरकार प्रशासित उद्योगों को खत्म कर दिया जाए।

अगर मौजूदा सरकार भी पूर्ववर्ती सरकार के पथ पर अग्रसर है लेकिन एक कदम आगे बढ़कर अपने विचार दूसरों पर थोपने की कोशिश में है जिसका विरोध करने पर न केवल हमले किए जा रहे हैं बल्कि उन्हें देशद्रोही करार दिया जा रहा है। यह स्वीकार करते हुए बड़ी ट्रेड यूनियनों सहित सीआईटीयू वर्कर्स के अधिकारों पर गुणा किया विरोध में विफल हैं जबकि कानूनों में संशोधन और संघ के गठन के अधिकार से वंचित कर देने की कोशिश की जा रही है।

उन्होंने कहा कि समाज के सभी वर्गों को एकजुट होकर तानाशाही के खिलाफ संघर्ष के लिए प्रतिबद्ध हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की संप्रभुता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक रणनीति क़तईयत देने सभी केंद्रीय ट्रेड यूनीय‌नस की बैठक दिल्ली में 30 मार्च को तलब किया गया है।