सरदार नगर शाद नगर में बड़े जानवरों का बाज़ार , मुस्लिम ताजरीन की जानिब से बाईकॉट

ईद उल अज़हा से क़ब्ल बड़े जानवरों की खरीदारी को एक फ़िर्कावाराना तनाज़ा की शक्ल देने अश्रार ने कोई कसर बाक़ी नहीं रखी । गरीब हिन्दू किसानों से बड़े जानवर खरीद कर शहर लाने की कोशिश में कुरैशी बिरादरी से ताल्लुक़ रखने वाले कई नौजवानों को अश्रार की ज़द-ओ-कोब और क़ातिलाना हमलों का शिकार होना पड़ा ।

उन के सैंकड़ों जानवरों को अश्रार लेकर चलते बने । इस के नतीजा में ना सिर्फ कई नौजवान शदीद ज़ख़मी हुए बल्कि उन्हें लाखों रूपयों से महरूम भी होना पड़ा । कुरैशी बिरादरी और ज़ख़मी नौजवानों के इलावा मुस्लिम तनज़ीमों ने इल्ज़ाम आइद किया था कि अश्रार की शरपसंदी के लिये पुलिस उनका भरपूर साथ दे रही है

क्यों कि मामूली वाक़ियात पर अकलियती नौजवानों के ख़िलाफ़ संगीन दफ़आत के तहत मुक़द्दमात दर्ज करने वाली पुलिस अश्रार के क़ातिलाना हमलों , रक़म छीन लेने और जानवरों को ले भागने के बावजूद उन के ख़िलाफ़ इक़दाम-ए-क़तल , लूट मार , फ़साद बरपा करने फ़िर्कावाराना मुनाफ़िरत फैलाने , चोरी और डकैती में मुलव्विस होने के इल्ज़ामात के तहत मुक़द्दमात दर्ज करने की बजाय ख़ामोशी इख़तियार किये हुए थी ।

और इस ख़ामोशी का सिलसिला अभी तक जारी है । अश्रार के ज़ुलम-ओ-बरबरीयत का शिकार अफ़राद (लोगों) के ख़्याल में पुलिस की मुजरिमाना ख़ामोशी के नतीजा में ही अश्रार के हौसले बुलंद होते हैं अगर पुलिस सख़्ती से पेश आती तो किसी शरपसंद में फ़िर्कावाराना फ़िज़ा को बिगाड़ने की हिम्मत-ओ-जुरात पैदा ना होती ।

ईद उल अज़हा से क़ब्ल अश्रार ने ग़ैर मामूली तरीका पर पुलिस की ख़ामोशी के नतीजा में क़ानून की धज्जियां उड़ाईं लेकिन अब कुरैशी बिरादरी ने शाद नगर में इस बात का फैसला किया है कि वो सरदार नगर में हर मंगल को लगने वाले जानवरों के सब से बड़े बाज़ार में किसी मुस्लमान को जानवर खरीदने नहीं देगी । ईद उल अज़हा से पहले जानवरों की खरीदारी जुर्म और ईद के बाद उन्हें फ़रोख़त करना किस तरह क़ानूनी हो सकता है ।

आप को बतादें कि शाद नगर से 8 किलोमीटर के फ़ासले पर सरदार नगर नामी एक मौज़ा है इस मौज़ा में निज़ाम हशतुम नवाब मीर महबूब अली ख़ां बहादुर के दौर हुक्मरानी से हर मंगल को बड़े जानवरों का बाज़ार लगा करता है ।

इस के ज़रीया शरपसंदों को ये पयाम देना है कि बड़े जानवर खरीदने वाले क़सूरवार नहीं होते बल्कि असल क़सूरवार तो फ़रोख़त करने वाला होता है । अगर इन में हिम्मत है तो बड़े जानवर फ़रोख़त करने वालों पर हमले करें तब अक़ल्लीयतों पर किए गए हमलों पर ख़ामोशी इख़तियार करनेवाली पुलिस भी हरकत में आजाएगी ।

इन ताजरीन ने मीडिया को बताया कि जब तक अकलियती नौजवानों पर क़ातिलाना हमले करते हुए उन के जानवर और रक़म छीनने वाले अश्रार के ख़िलाफ़ इक़दाम-ए-क़तल , चोरी , डकैती और फ़िर्कावाराना मुनाफ़िरत फैलाने के इल्ज़ामातके तहत मुक़द्दमात दर्ज नहीं किए जाते और कुरैशी बिरादरी-ओ-अकलियती ताजरीन के तहफ़्फ़ुज़ को यक़ीनी नहीं बनाया जाता तब तक इन बाज़ारों में बड़े जानवरों की खरीदी का बाईकॉट किया जाएगा ।

इन क़ाइदीन ने ये भी बताया कि वो कावरम पेट , कलवा कुरती , कोज़गी जैसे इलाक़ों में भी जाएंगे जहां बड़े जानवरों के बाज़ार लगते हैं वहां भी अकलियती ताजरीन को बड़े जानवरों की खरीदारी से रोका जाएगा ।

इस ग़ैर मामूली और मुनफ़रद मुहिम में अहम किरदार अदा करने वालों में सलीम कुरैशी , अज़ीम कुरैशी , ताजिरान चर्म मुहम्मद बाशाह , मुहम्मद ग़ौस , मुहम्मद अलीम , ज़मरुद ख़ां , मसऊद अली ख़ां ,अमजद ग़ौरी , क़ादिर ग़ौरी , परवेज़ हुसैन और आदिल पटेल वगैरह शामिल हैं ।

कुरैशी बिरादरी का कहना है कि यू पी और बिहार में बड़े जानवर का गोश्त 60 रुपय किलो फ़रोख़त होता है वहां बड़ा जानवर कोई नहीं खरीदता इस लिये किसान बहुत परेशान रहते हैं । वाज़िह रहे कि इस मुनफ़रद मुहिम में हिस्सा लेने शहर से कुरैशी बिरादरी के बाअज़ ज़ी असर हज़रात भी शाद नगर गए थे ।

उन का कहना है कि अल-कबीर , फिरे गुरूफ़कवालाना ( औरंगाबाद महाराष्ट्रा ) , इल्लाना संस् ( दिल्ली आंधरा प्रदेश और महाराष्ट्रा ) देवना ( महाराष्ट्रा ) में गाय के बड़े मदबख़ हैं जहां कई मिलियन बड़े जानवरों को ज़बह किया जाता है, अश्रार इस जानिब तवज्जा क्यों नहीं देते ।