सरदार पटेल की वजह से हैदराबाद इंडियन यूनीयन में शामिल:अडवानी

नई दिल्ली 07 जुलाई : जम्मू-ओ-कश्मीर की तरह निज़ाम हैदराबाद की तरफ से उनकी रियासत के इंडियन यूनीयन में शामिल से पस-ओ-पेश का मसला भी अक़वाम-ए-मुत्तहिदा से रुजू होने वाला था क्यूंकि जवाहर लाल नेहरू एसा करना चाहते थे लेकिन सरदार पटेल की वजह से एसी सूरत-ए-हाल से बचा लिया।

बी जे पी लीडर एल के अडवानी ने ये बात कही। उन्होंने सरदार पटेल के करीबी साथी की तहरीर करदा किताबों के हवाले से कहा कि मुल्क के पहले वज़ीर आज़म पंडित नेहरू उस वक़्त के वज़ीर दाख़िला सरदार पटेल के हैदराबाद में फ़ौजी मुदाख़िलत के मंसूबे के मुख़ालिफ़ थे।

उन्होंने दावा किया कि निज़ाम ,आज़ाद ममलकत बरक़रार रखने के फैसले पर क़ायम थे और उन्होंने अपने इलाके में हनदुवें को हलाक करने की धमकी दी थी।

नेहरू अक़वाम-ए-मुत्तहिदा से रुजू होना चाहते थे जैसा कि जम्मू-ओ-कश्मीर के मुआमले में उन्होंने किया था हमें पता नहीं कि अगर सरदार पटेल उस वक़्त पंडित नेहरू का मश्वरह मान लेते तो क्या सूरत-ए-हाल होती।

होसकता हैके जम्मू-ओ-कश्मीर की तरह हैदराबाद भी एक मसला बन जाता लेकिन सरदार पटेल के सूंच ने इस सूरत-ए-हाल से बचा लिया।

बी जे पी लीडर ने एक किताब की रस्म इजरा तक़रीब में ये बात कही । हिन्दी में शाय इस किताब का उनवान जम्मू और कश्मीर की इन कही कहानी है जिस में प्रजा परिषद ने सारी तफ़सीलात बयान की है।

प्रजा परिषद जम्मू की इलाक़ाई पार्टी है जो रियासत को ख़ुसूसी मौक़िफ़ के ख़िलाफ़ मुहिम चलाती रही है और बाद में इस का जिन्न सिंह में शामिल होगया।

बानी जिन सिंह श्यामा प्रसाद मुकर्जी की यौम पैदाइश तक़रीब की मुनासबत से इस किताब की रस्म इजरा अंजाम दी गई। अडवानी ने कहा कि कश्मीरी बोलने वाले मुसलमानों की राये का रियासत की सियासत पर काफ़ी असर है और रियासत में दूसरों ने जो क़ुर्बानियां दी हैं इस के बारे में बहुत कम लोग वाक़िफ़ हैं।।