चंडीगढ़, 04 मार्च: लाहौर की जेल में 22 साल से बंद हिंदुस्तानी कैदी सरबजीत सिंह और उनके घर वालों की मुसीबत पर पाकिस्तान के वकील की ओर से लिखी किताब ‘सरबजीत सिंह: ए केस आफ मिसटेकेन आईडेंटिटी’ का पाकिस्तान में रस्म ए इजरा रोक दी गयी है।
तकरीब से पहले लाहौर प्रेस क्लब के गेट बंद कर दिए गए और लांचिंग के लिए पहुंचे पाक सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के साबिक प्रेसीडेंट हामिद खान और इंसानी हुकूक कमीशन के एक मेम्बर को भी अंदर नहीं जाने दिया गया।
सरबजीत के साथ पाकिस्तानी पुलिस, जांच एजेंसी और अदालत में हुई कार्यवाही के दौरान किए गए भेदभाव को इशारा करती किताब लिखने वाले लाहौर के वकील और इंसानी हुकूक के कारकुन ओवैश शेख ने ‘अमर उजाला’ को भेजे मेल में यह इत्तेला दी।
उन्होंने इल्ज़ाम लगाया कि मुबय्यना तौर पर दहशतगर्द तंज़ीम तहरीक-ए-तालिबान की ओर से जुमे को उनके घर वालों को धमकी भरा खत भेजने के बाद प्रेस क्लब इंतेज़ामिया और लाहौर इंताज़ामिया ने पहले से तय तकरीब नहीं होने दिया।
शेख ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के साबिक प्रेसीडेंट, इंसानी हुकूक कमीशन के मेम्बर और हिंद-पाक पीस इनीशिएटिव से जुड़े तमाम लोग जब क्लब पहुंचे तो वहां ताला लगा मिला।
क्लब के अंदर से सेक्युरिटी फोर्स के जवान तैनात कर दिए गए थे जिसकी वजह से प्रोग्राम नहीं हो सका।
ओवैश ने कहा कि पाक तालिबान की ओर से उनकी बीवी को मुबय्यना तौर पर भेजे खत की इत्तेला पुलिस को दे दी जाएगी। उनकी बीवी को धमकाया गया है कि अगर सरबजीत के मसले पर उनके शौहर ने प्रेस कांफ्रेंस और रिहाई के लिए मुहिम नहीं रोकी तो उनके घर वालों को नुकसान पहुंचेगा।
शेख ने कहा कि वह धमकियों से नहीं डरेंगे और हिंदुस्तान और पाकिस्तान् दोनों मुल्कों में बंद कैदियों की रिहाई के लिए कोशिश करते रहेंगे।
गलत शनाख्त की वजह से फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद से लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर ने ‘अमर उजाला’ से फोन पर बातचीत में कहा कि ओवैश को तालिबान की धमकी के बारे में वह कुछ नहीं बोलना चाहतीं।
उनका खानदान सरबजीत सिंह की रिहाई के अलावा किसी दूसरे मामले में नहीं पड़ना चाहता। वह जल्द ही दिल्ली जाकर वज़ीर ए दाखिला और मरकज़ी हुकूमत के दूसरे नुमाइंदों से मिलकर भाई की रिहाई के लिए हुकूमत ए पाकिस्तान पर दबाव बनाने की गुजारिश करेंगी।
———–बशुक्रिया: अमर उजाला