सरबराहों के इल्म ( जानकारी) के बगै़र अभिनव भारत में शिरकत

मालेगावँ बम धमाकों के मुल्ज़िम ( अपराधी) लेफ्टीनेंट कर्नल पी एस पुरोहित ने कहा कि वो बुनियाद परस्त हिन्दू तंज़ीम अभिनव भारत ने अपने आला ओहदेदारों के इल्म-ओ-इत्तिला (जानकारी व सूचना) के बगै़र शामिल हुआ था और इस ने अपना काम मुनासिब अंदाज़ में अंजाम दिया।

फ़ौजी सुराग़ रसां ओहदेदार को 2 अलैहदा मुक़द्दमात का सामना है। एक मुक़द्दमा क़ौमी महकमा सुराग़ रसानी (एन आई ए) और दूसरा मुक़द्दमा फ़ौजी अदालत तहक़ीक़ात की जानिब से चलाया जा रहा है। कर्नल पुरोहित ने रिसाला ( पत्रिका) आउटलुक से कहा कि वो अभिनव भारत में शामिल हो गया था और इस ने अपना काम मुनासिब अंदाज़ में अंजाम दिया।

अपने आला ओहदेदारों को ला इल्म रखा। हर बात फ़ौज के रिकॉर्ड्स में शामिल है। जिन अफ़राद को इस का इल्म होना चाहीए वो सच्चाई से वाक़िफ़ थे। फ़ौज ने ब्रीगेडीयर फ़तह के ओहदेदार कर्नल पुरोहित के ख़िलाफ़ तहक़ीक़ात मुकम्मल कर ली हैं और अपनी रिपोर्ट जुनूबी कमांड हेडक्वार्टर्स को पेश कर दी है।

ज़राए के बमूजब ( सूत्रों के मुताबिक) 8 गवाहों में से किसी गवाह ने पुरोहित के दहशतगर्द होने की तौसीक़ ( पुष्टी) नहीं की। रिसाला ( पत्रिका) आउटलुक के बारे में ये नतीजा गवाहों के ब्यानात की बुनियाद पर अख़ज़ (प्राप्त) किया गया है, जिन तक रिसाला ( पत्रिका) की रसाई ( पहुँच) मुम्किन हो सकी थी।

फ़ौजी ओहदेदारों ने रब्त पैदा करने पर कहा कि किसी ओहदेदार के ख़िलाफ़ कार्रवाई का फ़ैसला उजलत में नहीं किया जा सकता। ओहदेदारों ने फ़ौरी तौर पर जो कार्रवाई ज़रूरी समझी थी, अंजाम दे दी है। कर्नल पुरोहित के ख़िलाफ़ मुकद्दमा का आग़ाज़ 7 अप्रैल 2009 को हुआ और इस का इख़तताम ( समाप्ती) यक्म सितंबर 2010 को हो चुका है।

इसकी फ़ौज से बरतरफ़ी (बर्खास्तगी) की सिफ़ारिश की गई है।