वॉशिंगटन: साल 2000 के बाद से बच्चों के हेल्थ प्रोग्रामों में 4,205 डॉलर यानी 2,50,000 रूपए की सरमायाकारी से आलमी सतह पर 3.4 करोड़ से ज़्यादा बच्चों की जिंदगी बचाई गई है। एक नई तजज़िया में यह जानकारी सामने आई है।
मैग्जीन “द लैंसेट” के मुताबिक, साल 2000 से 2014 तक कम और दरमियानी आमदनी वाले मुल्को ने बच्चों के सेहत पर 133 अरब डॉलर खर्च किए हैं, जबकि ज़्यादा आमदनी आय वाले ममालिक में ज़ाती और आवामी डोनर्सने 73.6 अरब डॉलर खर्च किए हैं।
मुसन्निफो का कहना है कि एक बच्चे की ज़िंदगी को बचाने के लिए तंजानिया और हैती जैसे कम आमदनी वाले मुल्कों में औसत 4,205 डॉलर, हिंदुस्तान और जांबिया जैसे कम और दरमियानी आमदनी वाले ममालिक में 6,496 डॉलर और बोत्सवाना और थाईलैंड जैसे ऊपरी दरमियानी आमदनीवाले मुल्को में 10,016 डॉलर की रकम सरमायाकारी की जा सकती है।
वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवेल्यूएशन इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर क्रिस्टोफर मुरे के मुताबिक, आप 4,000 डॉलर कई चीजों पर खर्च कर सकते हैं लेकिन कुछ ही इलाके ऐसे हैं, जहां बच्चों की सेहत में सरमायाकारी करने जैसे खुशगवार असरात आपको मिल सकते हैं।
अगर आप गरीब ममालिक में सरमायाकारी करते हैं तो आपको बच्चों की सेहत में बडे असरात देखने को मिलेंगे, क्योंकि इन ममालिको में Nutrition programs, medicines और इब्तिदायी देखभाल जैसे चीजों पर लागत बहुत कम होती है।