हिंदुस्तान और पाकिस्तान की तिजारत सरहद पर कशीदगियों के बावजूद मुसलसल फ़रोग़ पज़ीर है, लेकिन अब तक सलाहीयतों से भरपूर इस्तिफ़ादा नहीं किया गया जो एक तख़मीना के मुताबिक़ 12 अरब अमरीकी डॉलर्स मालियती हैं।
सार्क चैंबर ऑफ़ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री की एक तहक़ीक़ी रिपोर्ट में इन्किशाफ़ किया गया है कि दोनों ममालिक इब्तिदा ही से तिजारती शराकतदार रहे हैं लेकिन तिजारती सलाहीयत का तनाज़आत की वजह से भरपूर इस्तेमाल नहीं किया गया।
इस तहक़ीक़ से पता चलता है कि 1995 तक हिंदुस्तान और पाकिस्तान की बाहमी तिजारत सिर्फ़ 13 करोड़ 20 लाख अमरीकी डॉलर्स मालियती थी लेकिन बाद के बर्सों में इस में इज़ाफ़ा हुआ क्योंकि हिंदुस्तान ने पाकिस्तान को 1996 में इंतिहाई पसंदीदा मुल्क का मौक़िफ़ अता कर दिया जिस के नतीजा में फ़ौरी तौर पर बाहमी तिजारत में इज़ाफ़ा होकर ये 18 करोड़ 80 लाख डॉलर्स मालीयाती हो गई।
पाकिस्तान ने काबिले तिजारत अशीया की फ़ेहरिस्त 600 अशीया पर मुश्तमिल करदी है लेकिन सियासी और मआशी वजूहात की बिना पर हिंदुस्तान को इंतिहाई पसंदीदा मुल्क का मौक़िफ़ देने से गुरेज़ किया है। बाहमी तिजारत 3 साल में मुख़्तलिफ़ शोबों में पाँच लाख नई मुलाज़मतों के मवाक़े फ़राहम कर सकती है।