सर्वोच्च न्यायलय के दखल के बाद श्रमिकों की जीत

दस साल की लम्बी लड़ाई के बाद अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस पर सर्वोच्च न्यायलय ने श्रमिकों को नायब तौफा दिया । न्यायलय के आदेश ने 2,700 ठेका श्रमिकों को ‘बृहन्मुंबई महानगर निगम (बीएमसी)’ के साथ स्थायी रोजगार से सम्मानित किया। यह श्रमिक संघ और निगम के बीच दस साल लंबी कटु कानूनी लड़ाई का परिणाम है।

बीएमसी ने मौजूदा श्रम कानूनों में विभिन्न कमियों का इस्तेमाल करा ताकि वे श्रमिकों को उनकी न्यूनतम मजदूरी और कर्मचारी लाभ से वंचित रख सकें।

‘औद्योगिक न्यायाधिकरण’ द्वारा श्रमिकों को स्थायी दर्जा देने के एक अनुकूल फैसले के बावजूद, बीएमसी ने बंबई उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायलय में फैसले को चुनौती दी जिसमे वो बाद मे हार गए। सर्वोच्च न्यायलय का यह फैसला श्रमिकों को दास बनाने और उनके मूल अधिकारों के हनन पर ‘बीएमसी’ को एक करारा तमाचा है।

श्रमिकों का यह संघर्ष उनकी गरिमा और न्याय सुनिश्चित करने के लिए लड़ाई की पुष्टि करता है जिसे पूरे विश्व में कुचला जा रहा है। 1 मई को आज़ाद मैदान में ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस’ और ‘महाराष्ट्र दिवस’ मनाने के लिए एकत्रित 2,700 श्रमिकों और उनके परिवारों के लिए सुप्रीम कोर्ट का यह फैसले एक महत्वपूर्ण मोड़ है जिससे उन्हें बेहतर जीवन जीने और अपने बच्चों को शिक्षित करने का अवसर मिलेगा।