सलमान ख़ूर्शीद और इकलेती तहफ़्फुज़ात

अक़ल्लीयतों को तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी अब एक बार फिर संगीन मसला बन गई है । कांग्रेस के सीनीयर लीडर और मर्कज़ी वज़ीर क़ानून मिस्टर सलमान ख़ूर्शीद इकलेती तहफ़्फुज़ात के मसला पर जिस अंदाज़ से लब कुशाई कर रहे हैं और बड़े ऐलानात कर रहे हैं इसके नतीजा में सूरत-ए-हाल यकसर तब्दील हो गई है और अब मिस्टर ख़ूर्शीद के ख़िलाफ़ इलेक्शन कमीशन को भी हरकत में आना पड़ा है

और कमीशन ने बिलकुल पहली मर्तबा एक गैर मुतवक़्क़े इक़दाम करते हुए सदर जमहूरीया मुहतरमा प्रतीभा पाटील को मकतूब रवाना करते हुए मिस्टर ख़ूर्शीद के रवैय्या की शिकायत की है और कहा कि वो हट धर्मी वाला रवैय्या इख्तेयार किए हुए हैं। सदर जमहूरीया को उन के ख़िलाफ़ फ़ौरी और फैसला कुन अंदाज़ में कार्रवाई करनी होगी।

सदर जमहूरीया मुहतरमा प्रतीभा पाटिल ने भी इलेक्शन कमीशन के इस मकतूब पर फ़ौरी नोट लेते हुए ये मकतूब दफ़्तर वज़ीर आज़म को रवाना कर दिया है और कहा कि डाक्टर मनमोहन सिंह इस पर कोई मुनासिब कार्रवाई करें। ये सारा मसला दर असल मिस्टर सलमान ख़ूर्शीद के इस ऐलान का है कि उत्तरप्रदेश में अगर कांग्रेस पार्टी बरसर-ए-इक्तदार आती है तो अक़ल्लीयतों को 9 फीसद तहफ़्फुज़ात फ़राहम किए जाएंगे ।

मिस्टर ख़ूर्शीद ने ये ऐलान अपनी शरीक हयात लूसी ख़ूर्शीद के हल्क़ा-ए-इंतख़ाब फर्रुखाबाद में एक जल्सा-ए-आम से ख़िताब करते हुए किया था । इस ऐलान के ख़िलाफ़ कमीशन से नुमाइंदगीयाँ भी की गयीं और कमीशन ने इस का नोट लेते हुए उन की सरज़निश की और कहा कि इन का ये ऐलान इंतेख़ाबी ज़ाबता अख़लाक़ की ख़िलाफ़वर्ज़ी है जिस का मुस्तक़बिल में इआदा नहीं होना चाहीए ।

मिस्टर ख़ूर्शीद ने कमीशन की इस सरज़निश पर ख़ामोशी इख्तेयार नहीं की और दुबारा अपनी शरीक हयात के हल्क़ा-ए-इंतख़ाब ही में ये ऐलान कर दिया कि कमीशन अगर उन्हें फांसी पर भी लटका देता है तो वो गरीब और पसमांदा मुस्लमानों को तहफ़्फुज़ात फ़राहम करवाने की जद्द-ओ-जहद जारी रखेंगे ।

उन के इस ऐलान पर कमीशन हरकत में आगया और कमीशन के एक इजलास में उन के ऐलान का जायज़ा लिया गया और ये राय क़ायम हुई कि मिस्टर ख़ूर्शीद का रवैय्या हट धर्मी वाला और नामुनासिब है जिस के नतीजा में इलेक्शन कमीशन जैसे दस्तूरी इदारा की अहमियत-ओ-ज़िम्मेदारी को कम करने की कोशिश की गई है ।

कमीशन ने इस सूरत-ए-हाल पर ग़ौर के बाद सदर जमहूरीया की मुदाख़िलत की इस्तिदा करते हुए उन्हें मकतूब रवाना कर दिया।

सदर जमहूरीया ने फ़ौरी इस मकतूब का नोट लेते हुए ये मकतूब दफ़्तर वज़ीर आज़म को रवाना कर दिया कि वो इस पर कोई कार्रवाई करें। अब कांग्रेस पार्टी ने भी मिस्टर ख़ूर्शीद के बयान पर हालात के रुख को यकसर बदलते देख कर अपने मौक़िफ़ की वज़ाहत की और कहा कि तमाम ही वुज़रा को अवामी क़वानीन के दायरा में रहते हुए काम करना चाहीए और उन्हें ऐसा कोई बयान नहीं देना चाहीए जो क़वानीन के मुताबिक़ दरुस्त ना हो ।

इस तरह मिस्टर ख़ूर्शीद से कांग्रेस ने अमला ला ताल्लुक़ी का इज़हार कर दिया है हालाँकि यही कांग्रेस इबतिदा में कहती रही थी कि मिस्टर ख़ूर्शीद ने अक़ल्लीयतों को तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी का जो ऐलान किया है इस में कोई नई बात नहीं है और ये कांग्रेस के इंतेख़ाबी मंशूर का हिस्सा है ।

अब जबकि मसला सदर जमहूरीया से रुजू हो गया तो कांग्रेस ने ख़ुद को इस मुआमला से अलग थलग करलिया है और सारी ज़िम्मेदारी मिस्टर ख़ूर्शीद पर आइद करदी है ।

इस सारे तनाज़ा से क़ता नज़र एक बात ज़रूर कही जा सकती है कि यक़ीनी तौर पर मिस्टर ख़ूर्शीद का रवैय्या दस्तूरी इदारों में टकराव का बाइस हो गया था । मिस्टर ख़ूर्शीद भले ही कमीशन से टकराव चाहते हूँ यह नहीं इन का मत्मा नज़र सिर्फ और सिर्फ उत्तर प्रदेश में मुस्लमानों के वोट हासिल करना था और शायद उन का जारिहाना और मुसलसल हट धर्मी वाला रवैय्या कांग्रेस की इंतिख़ाबी हिक्मत-ए-अमली का हिस्सा ही हो की उनका इंतेख़ाबात के आग़ाज़ ही में कांग्रेस ने वाज़िह कर दिया था कि वो उत्तर प्रदेश में किसी भी कीमत पर मुस्लमानों के वोट हासिल करना चाहती है और अब शायद उसे मिस्टर ख़ूर्शीद की सूरत में मुस्लिम वोटों की कीमत चुकानी पड़ रही है और एसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी इस के लिए पहले से तैयार भी थी ।

उसी हिक्मत-ए-अमली के तहत मिस्टर ख़ूर्शीद को इस्तिमाल किया गया ताकि ज़्यादा से ज़्यादा मुस्लमानों को राग़िब करते हुए उन के वोट हासिल किए जा सकें।

जहां तक सलमान ख़ूर्शीद का मुआमला है यह ख़ुद कांग्रेस की बात है तो उन्हें मुस्लमान उसी वक़्त याद आते हैं जब कहीं इंतेख़ाबात का सामना होता है । क़ौमी सतह पर मुस्लमानों को 4.5 फीसद तहफ़्फुज़ात फ़राहम करने का ऐलान करनेवाली कांग्रेस पार्टी ने आंधरा प्रदेश में मुस्लमानों को चार फीसद तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी को दस्तूरी मौक़िफ़ देने कोई कार्रवाई नहीं की थी और ये मसला हनूज़ क़ानूनी कशाकश का शिकार है जिस के मुस्तक़बिल के ताल्लुक़ से कोई बात क़तईयत से नहीं कही जा सकती ।

सलमान ख़ूर्शीद ने जो रवैय्या और मौक़िफ़ इख्तियार किया था और इस पर जो सूरत-ए-हाल बन गई है वो कांग्रेस की हिक्मत-ए-अमली का हिस्सा हो सकती है ताकि मुस्लमानों को ये पयाम दिया जा सके कि उन्हें तहफ़्फुज़ात फ़राहम करने केलिए पार्टी और इस के क़ाइदीन किस हद तक संजीदा हैं। ये संजीदगी सिर्फ़ ज़ाहिरी दिखावा है और अमली एतबार से अभी इस बात की कोई तमानियत नहीं है कि मुस्लमानों यह बहैसियत मजमूई अक़ल्लीयतों केलिए जो वायदे किए जा रहे हैं उन पर वाक़ई अमल होगा ।

इंतेख़ाबात मैनहृ जमात सयासी चालबाज़ी का मुज़ाहरा करती है और सलमान ख़ूर्शीद का मुआमला भी कांग्रेस की सयासी हिक्मत-ए-अमली का हिस्सा होसकता है । इसी सूरत में यू पी के राय दहिंदों को पूरे तदब्बुर और शऊर का मुज़ाहरा करना होगा।