पटना में हुए धमाकों पर सब से ज़्यादा तन्क़ीदों का सामना जिन दो वज़रा को करना पड़ रहा है वो वज़ीर-ए-ख़ारजा सल्मान ख़ुर्शीद और वज़ीर-ए-दाख़िला सुशील कुमार शिंदे हैं।
सल्मान ख़ुर्शीद ने पटना में हुए धमाकों के बाद वज़ीर-ए-दाख़िला शिंदे की एक फ़िल्मी तक़रीब में शिरकत का दिफ़ा किया था उन्होंने कहा यू पी ए वज़रा मुल्क की सलामती से कोई दिलचस्पी नहीं है और वो सिर्फ़ अस्क़ामस को ही एहमियत देते हैं। सल्मान ख़ुर्शीद से भला आप क्या तवक़्क़ो करसकते हैं जिन्हें चाइनीज़ खाने बेहद पसंद हैं और जो ख़ुद भी चीन में रहना पसंद करते हैं।
लिहाज़ा वो मुल्क की दाख़िली सलामती के लिए फ़िक्रमंद क्यों होंगे? दूसरी तरफ़ वज़ीर-ए-दाख़िला हैं जिन्हें नाच गाना बेहद पसंद है। लिहाज़ा यू पी ए वज़रा से कोई तवक़्क़ुआत वाबस्ता मत कीजिए। उनके लिए कोयला अस्क़ाम, 2G अस्क़ाम, CWG अस्क़ाम ज़्यादा एहमियत के हामिल हैं। जितना ज़्यादा कमा सकते हैं कमा लो क्योंकि एक दिन आप इक़तिदार से महरूम होने वाले हैं।
कीर्ति आज़ाद ने वज़ीर-ए-आला बिहार नीतीश कुमार को भी शदीद तन्क़ीद का निशाना बनाते हुए कहा कि इंटलीजेंस की रिपोर्ट मिलने के बाद भी नीतीश बाबू ने सेक्योरिटी के अच्छे इक़दामात नहीं किए। यहां तक कि मेटल डीटकटर और बम नाकारा बनाने वाले उस्कोएड को भी तलब नहीं किया गया था।
बस तमाम आफ़िसरान जलसा के मुक़ाम पर हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए थे। यहां इस बात का तज़किरा दिलचस्पी से ख़ाली ना होगा कि सल्मान ख़ुर्शीद ने पटना बम धमाकों के बाद सुशील कुमार शिंदे का दिफ़ा करते हुए कहा था कि वज़ीर-ए-दाख़िला की पटना के इलावा भी दीगर ज़िम्मेदारियां हैं।
उन्होंने नई दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए कहा था कि बेशक पटना में इंसानी जानों का जो इत्तिलाफ़ हुआ इस पर हमें बेहद दुख है क्योंकि वहां गंदी और ओछी सियासत खेली जा रही है। इतवार के रोज़ नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली में सुबह 9.30 ता 12.45 बजे कम शिद्दत वाले कई धमाकों से पटना शहर दहल गया था और उसके कुछ घंटों बाद शिंदे ने बाली वुड फ़िल्म रुजू की म्यूज़िक की लॉंचिंग में शिरकत करते हुए अदाकारों के साथ तस्वीरकशी करवाई थी।