हैदराबाद 06 अप्रैल: सहाफ़ीयों के लिए अक़ल्ल तरीन तालीमी काबिलियत के ताइन पर एक पियनल का तक़र्रुर करने अपने फैसले को हक़बजानिब क़रार देते हुए प्रेस कौंसिल आफ़ इंडिया के चैरमैन मर कंडे काटजू ने आज कहा कि इस इक़दाम का मक़सद मीडिया की तज़हीक करना नहीं है , लेकिन मीडिया के मयारात को बेहतर बनाना हमारा अव्वलीन मक़सद है कीवनके इस शोबे में अब औसत दर्जे के बेशुमार सहाफ़ी दाख़िल होगए हैं ।
मर कंडे काटजू ने कहा कि इन दिनों कम तालीमयाफ्ता सहाफ़ीयों की फ़ौज खड़ी होगई है । इसलिए सहाफ़त का मीआर घटता जा रहा है ।
हम ने कौंसिल के रुकन श्रावण कुमार गर्ग की ज़ेर क़ियादत एक कमेटी तशकील दी थी जिस ने बदलते हालत के तनाज़ुर में सहाफ़ीयों के लिए अक़ल्ल तरीन तालीमी काबिलियत की तजवीज़ रखी है ।
इस के अलावा सहाफ़त में कई ख़ुसूसियात पाई जाती हैं । इस लिए सहाफ़ीयों के लिए अक़ल्ल तरीन तालीमी काबिलियत ज़रूरी है । गर्ग ने कहा कि ये कमेटी मुल्क में मुख़्तलिफ़ सहाफ़ती इदारों के मीआर का जायज़ा भी लेगी । फ़िलहाल उन पर कोई कंट्रोल नहीं है ।
कमेटी बहुत जल्द अपनी सिफ़ारिशात पेश करेगी । प्रेस कौंसिल आफ़ इंडिया इन सिफ़ारिशात का जायज़ा लेने के बाद तरमेमात पेश किए जाएंगे ।
हकूमत-ए-हिन्द को रिपोर्ट पेश करते हुए पार्लियामेंट के ज़रीये क़ानून की मंज़ूरी की सिफ़ारिश की जाएगी । उन्हों ने कहा कि सहाफ़ीयों के लिए अक़ल्ल तरीन काबिलियत का नज़रिया दरअसल मीडिया की तज़हीक करना मक़सद नहीं है । बल्कि इस के मीआर को बेहतर बनाना है ।
प्रेस कौंसिल आफ़ इंडिया के सरबराह ने ये भी एहसास ज़ाहिर किया कि सहाफ़ीयों की काम करने के हालात भी अबतर हैं जैसा के उन की तनख़्वाहें हैं । अख़बारात में सहाफ़ीयों के लिए रोज़गार की कोई ज़मानत नहीं है । इस लिए वो आमदनी का दूसरा ज़रीया तलाश करते रहते हैं ।
श्रावण गर्ग ने मज़ीद कहा कि उन की कमेटी तमाम मुताल्लिक़ा अफ़राद से बात चीत करेगी इस के बाद ही रिपोर्ट सिफ़ारिशात पेश की जाएंगी ।