नई दिल्ली, (पीटीआई): गैर सरकारी संगठन ‘कॉमन कॉज’ ने ५ जनवरी को ताज़ा हलफनामा अदालत में दायर किया है, जिसमे उन्होंने मांग की है की अदालत की निगरानी में एक एसआईटी का गठन किया जाये जो २०१३-१४ में दो व्यावसायिक घरानों पर हुए छापो की जाँच करेगी। आपको याद दिल दे की इन छापो के बाद प्रधानमंत्री मोदी सहित कई राजनीतिज्ञों को जांच के घेरे में लाने की मांग उठाई जा रही है।
‘कॉमन कॉज’ जिसे अदालत ने रिश्वत के आरोपों के समर्थन में विश्वसनीय सामग्री पेश करने के लिए कहा था, उसने कई सारे दस्तावेज़ और कुछ ईमेल हलफनामे के अनुबंधों के साथ दायर किए हैं। उन्होंने यह दावा किया कि ताज़ा सामग्री आदित्य-बिरला समूह के कार्यालय पर सीबीआई के छापे और सहारा समूह परिसर पर आयकर के छापो से संबंधित हैं।
न्यायमूर्ति ‘खेहर’ की अध्यक्षता वाले बेंच ने पिछले महीने एनजीओ और उसके वकील प्रशांत भूषण से पूछा था की बिना “पर्याप्त”,”ठोस” और “स्पष्ट” सबूतों के प्रधानमंत्री के खिलाफ ऐसे आरोप लगाना क्या सही है? बेंच ने यह भी कहा की जनहित याचिका बिना किसी सबूतों के दायर की गयी है और इसका इस्तेमाल केवल कटाक्ष करने के लिए हो रहा है। बेंच ने भूषण से कहा की वे पुख्ता सबूत पेश करें।
एनजीओ ने अपने ताज़ा हलफनामा में कहा है की ,”निम्नलिखित तथ्य स्पष्ट मामला बनाते हैं : 1) सीबीआई ने बिरला ग्रुप पर और आयकर विभाग ने सहारा समूह पर छापे मारे थे, 2) बेहिसाब मात्रा में नकद बरामद किया गया, 3) डायरी, नोटबुक, हाथ से लिखे पत्र, कंप्यूटर दस्तावेज़ छापे में बरामद किए गए, 4) एकत्रित जानकारी से पता चलता है की नेताओं और सिविल सेवकों ने रिश्वत ली है। ”
नए हलफनामे में ‘लतिका कुमारी’ केस में संविधान पीठ के फैसले का उल्लेख करते हुए बताया गया है की ” जब किसी जानकारी से संज्ञेय अपराधों का खुलासा होता है तो कानूनी तोर पर ऐसे मामलों की एफआईआर होना जरूरी है” और इस मामलें की परिस्थितियां तो पर्याप्त मौका प्रदान करती है की इस मामलें की निष्पक्ष जाँच कराइ जाए|
इसी प्रकार ‘जैन हवाला’ केस में सुप्रीम कोर्ट के निदेशन की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा गया की मौजूद मामला “ज्यादा मज़बूत है” क्योंकि इस मामलें में छापे के दौरान बड़ी मात्रा में पैसे भी बरामद हुए है|
कोर्ट ने अब ११ जनवरी की तारिक को सुनवाई के लिए निश्चित किया है ।