सही सिम्त की तरफ़ पहला क़दम

जर्मन चांसलर के भारत के दौरे के दौरान जर्मनी और भारत के माबैन मुतअद्दिद मुआहिदे तय पाए हैं जिनमें से ज़्यादातर का ताल्लुक़ तिजारत से है। इस पसमंज़र में दो तरफ़ा ताल्लुक़ात के जायज़े के साथ डोइचेवेले के ग्राहम लूकास का तबसरा, जर्मन चांसलर एंजिला मीरकल के तीन रोज़ा दौरे भारत के दौरान 18 मुआहिदे तय पाए हैं जिनका ताल्लुक़ तर्बीयत और काबिले तजदीद तवानाई जैसे शोबों में जर्मन सरमाया कारों और कारपोरेशंस के बाहमी तआवुन में बेहतरी से है।

डोइचेवेले के ग्राहम लूकास इस बारे में अपने तबसिरा यूं रक़म करते हैं: अप्रैल 2015 में जर्मन शहर हनोवर में मुनाक़िद होने वाले जर्मनी के शोपीस ट्रेड फेयर में जर्मन ताजिरीन का मूड संजीदा था। तब नरेंद्र मोदी की तरफ़ से जर्मन सरमाया कारों को भारत में सरमाया कारी की ज़ोरदार कॉल पर जवाबात से ज़्यादा सवालात उठ रहे थे।

जर्मन कारोबारी हल्क़े भारत की सुस्तरू ब्यूरोक्रेसी, ऊंची सतह की करप्शन के इलावा टैक्स और फ़िक्री इमलाक के तहफ़्फ़ुज़ के नाक़ुस निज़ाम और भारतीय अफ़राद क़ुव्वत में महारत की सख़्त कमी का हवाला दे रहे थे।