सांप्रदायिक ताकतों को सत्ता में आने से रोकने के लिए मुसलमानों को दलितों के साथ खड़ा होना होगा: मायावती

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक अभियान तेज करते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने आज कहा कि सांप्रदायिक ताकतों को राज्य में सत्ता में आने से रोकने के लिए मुसलमानों को दलितों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होना होगा।

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न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार सुश्री मायावती ने यहां संवाददाताओं से कहा कि मुसलमान अगर दलितों के साथ मिलकर बसपा को वोट देते हैं तो चुनाव में भाजपा को आसानी से हराया जा सकता है। उन्होंने दावा किया है कि राज्य में बसपा का मूल वोट बैंक (दलित) लगभग 25 प्रतिशत है। इस लिहाज से हर विधानसभा क्षेत्र में लगभग पचास साठ हजार वोट दलितों का है। इसमें अगर मुसलमान और अन्य जातियों का वोट शामिल हो जाए तो बसपा को सत्ता में आने से कोई नहीं रोक सकता।

उन्होंने कहा कि दूसरी ओर समाजवादी पार्टी का मूल वोट बैंक (यादव) की आबादी है जो केवल पांच छह प्रतिशत है। लगभग साठ विधानसभा हलको में यह जाति निर्णायक स्थिति में है। इसके बावजूद अगर कोई बड़ा वोट बैंक समाजवादी पार्टी को नहीं मिलता है सरकार बनाना तो दूर उसके उम्मीदवारों के लिए जमानत बचाना भी मुश्किल हो जाएगा। जनता सपा पक्षपातपूर्ण विकास और जंगलराज से परेशान है और भाजपा से नोटबंदी की वजह से नाराज है। इसलिए बसपा का पलड़ा भारी है। बसपा अध्यक्ष ने कहा कि जिस तरह बिहार में धर्मनिरपेक्ष मतदाताओं ने एकजुट होकर भाजपा को हराया इसी एकता के साथ यूपी में बसपा से मिलकर यह शक्तियां भाजपा को हरायेंगी। ताकि आरएसएस और भाजपा की रीढ़ की हड्डी में चोट कर सके।

उन्होंने कहा कि आखिर क्या वजह है कि सपा सरकार आते ही भाजपा मजबूत हो जाती है और बसपा की सरकार आने पर भाजपा कमजोर हो जाती है। वर्ष 2009 में बसपा के शासनकाल में हुए चुनाव में भाजपा के केवल नौ सांसद विजयी हुए थे जबकि 2014 में यूपी से बीजेपी सांसदों की संख्या बढ़कर 73 हो गई। मुसलमानों को इस पर विचार करना चाहिए।

सुश्री मायावती ने कहा कि यह सही है कि उन्होंने भाजपा से मिलकर दो बार सरकार बनाई लेकिन सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। समाजवादी पार्टी भाजपा के साथ गुप्त समझौता करके चुनाव लड़ लेती है। यही कारण है कि समाजवादी पार्टी के सत्ता में आने के बाद भाजपा की शक्ति बढ़ जाती है।