सांप्रदायिक सद्भाव और एकता पर काम कर रहे लोगों पर अगर सांप्रदायिक सद्भाव भंग करने के लिए केस दर्ज किया जाय तो इसे आप किस किस्म की ओछी हरकत कहेंगे! और प्रशाशन खुद आगे बढ़ कर ऐसे लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर दे, तब! ज़ाहिर है सद्भाव और एकता पर काम कर रहे लोग डर जाएंगे।
झारखंड की राजधानी रांची में कुछ ऐसा ही हुआ । यहां 16 बेकसूर मुसलमान जो अपने हक की लड़ाई लड़ रहे थे, उन पर झूठे केस लादने का प्रबंध किया गया है, उन सभी के खिलाफ 17 मार्च 2019 को रांची के हिंदपीढ़ी थाने में प्राथमिकी दर्ज कर की गई है।
इन बेकसूर मुस्लिमों पर आरोप लगाया गया है कि इन्होंने सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की है। प्राथमिकी दर्ज करवाने वाले अधिकारी हैं विजय कुमार उरांव, राजस्व उप-निरीक्षक, शहर अंचल, रांची।
प्राथमिकी में कहा गया है (FIR रांची के एक अखबार आज़ाद सिपाही की रिपोर्ट पर आधारित) कि अमन कम्यूनिटी हॉल हिन्दपीढ़ी में बशीर अहमद की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें साम्प्रदायिक सौहार्द को भड़काने जैसा बात किया गया है। जो आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। इससे एक खास समुदाय की भावना को ठेस पहुंचाने की बात की गई है, जिससे कभी-भी सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है।
अतः आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में बशीर अहमद, आजम अहमद, नदीम खान, बब्बर जावेद, हाजी इमरान, रजा अंसारी, लतीफ, मो.नौशाद, अब्दुल गफ्फार, डा. एसएस अहमद, हफीज, जुनैद, नवाब चिश्ती, सोनू भाई, इमाम अहमद, मो. शाहिद को आरोपित करता हूं।”
आजाद सिपाही के प्रधान संपादक हरि नारायण सिंह से जब विद्रोही24.कॉम ने इस संबंध में बातचीत की, तो उनका कहना था कि वे बड़ी ही जिम्मेदारीपूर्वक इस बात को कह रहे हैं कि उनके अखबार में ऐसी कोई बातें नहीं छपी, जिसको आधार बनाकर, हिंदपीढ़ी थाने में 16 बेकसूरों पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाकर प्राथमिकी दर्ज कर दी गई। अब सवाल उठता है कि जब ‘आजाद सिपाही’ ने खबर छापी ही नहीं, तब उक्त अखबार के आधार पर 16 बेकसूर मुसलमानों के खिलाफ हिन्दपीढ़ी थाने में प्राथमिकी कैसे दर्ज कर दी गई?
लोग बताते है कि जिन पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का आरोप लगा है, वे लोग रांची में सांप्रदायिक सद्भाव और एकता के मिसाल माने जाते हैं, और जब ऐसे लोगों को आदर्श आचार संहिता के नाम पर झूठे केस में फंसाया जायेगा तो लानत है, ऐसे लोगों पर, ऐसी व्यवस्था पर, अब तो कोई सच भी न बोले, अपने हक की बात भी न करें, अपने मुंह में ताला लगा लें, फरियाद भी न करें, आखिर किस आदर्श चुनाव आचार संहिता में लिखा है कि अपने हक-हुकूक की बात करना भी आचार संहिता का उल्लंघन है।
नदीम खान का कहना है कि हाशिये के लोगों एवं मुसलमानों को संवैधानिक तरीके से हक-हुकूक अधिकार पर जागरुकता मुहिम चलाने पर पूरी टीम को ही दंगाई बनाकर प्राथमिकी दर्ज करा दिया गया,उनका कहना है कि इस अंधेरे के खिलाफ उन लोगों की तार्किक जागरुकता भरी मुहिम जारी रहेगी, संघर्ष जारी रहेगा। बता दें कि ये वही नदीम खान हैं जो पुलवामा के शहीदों की याद में कुछ हफ्ते पहले “लहू बोलेगा” का आयोजन कर मुस्लिम मोहल्ले टोले और कई गैर मुस्लिमों के बीच ब्लड डोनेट करने का मुहिम चलाया था। यहीं नहीं ये इस किस्म के कई कार्यक्रम कर हेल्थ अधिकारियों की वाहवाही भी ले चुके हैं।
ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम ने अपने राष्ट्रीय अभियान समिति सदस्य तथा फोरम की झारखण्ड राज्य संचालन टीम के सदस्य एवं वरिष्ठ झारखण्ड आंदोलनकारी बशीर अहमद समेत कई मुस्लिम सामाजिक कार्यकर्ताओं पर तथाकथित सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने व आचार संहिता उल्लंघन के नाम पर स्थानीय पुलिस द्वारा झूठे मुकदमे किये जाने की कड़ी आलोचना की है। साथ ही मांग की है कि तमाम लोगों पर से अविलम्ब फर्जी मुकदमे हटाई जाये।
उन्होंने कहा कि पुलिस ने जिस कार्यक्रम को लेकर केस का आधार बनाया है, वह मुस्लिम समाज की चुनावी भागीदारी के सवाल पर आपसी विमर्श का एक निजी विमर्श कार्यक्रम था, जो किसी सार्वजनिक स्थल और किसी संगठन अथवा पार्टी विशेष का राजनीतिक कार्यक्रम नहीं था।