साईंसी शोबा(वैज्ञानिक क्षेत्र) में हिंदूस्तान कोई बड़ा कारनामा करने से क़ासिर(असमर्थ)

आलमी सतह(वैश्विक असर/Global impact) पर असर अंगेज़ साईंसी क़दम उठाने साईंसदानों को मश्वरा वज़ीर-ए‍-आज़म(प्रधानमंत्री) मनमोहन सिंह का ख़िताब(भाषण)वज़ीर-ए-आज़म(प्रधानमंत्री) मनमोहन सिंह ने आज साईंसदानों से कहा कि वो बड़े ख़ाब देखें, लेकिन मायूस ना हूँ। उन्हों ने अफ़सोस का इज़हार किया कि साईंस के शोबा में हिंदूस्तान आलमी सतह पर अपना असर पैदा करने से क़ासिर(असमर्थ) है। कौंसल औफ़ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सी एस आई आर) के 70 वें यौम तासीस के मौके पर ख़िताब करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि रिवायती(परंपरागत ) साईंसी डिसिप्लिन और कारनामों से ये साबित होता है कि ये पेचीदा फ़रोग़ पज़ीरी के चैयलेनजस से निमटने में बराबरी नहीं करता।

हम आलमी सतह पर हो रही साईंसी तरक़्क़ी को छूने से भी क़ासिर(असमर्थ) हैं। हमारे पास बड़े पैमाने पर साईंसदानों का ग्रुप पाया जाता है, लेकिन हम इस शोबा में ख़ास तरक़्क़ी नहीं कर सके। अपने ख़िताब में जिस को तमाम 37 सी एस आई आर लेबोरेट्रीस‌ तक वेब कैमरे से पेश किया गया, वज़ीर-ए-आज़म (प्रधानमंत्री)ने साईंस कौंसल की 70 साला ख़िदमात और कारनामों की सताइश की और कहा कि उसे अनथक जद्द-ओ-जहद जारी रखनी चाहीए।

हमारी तमाम तर कामयाबियों के बावजूद हम दुनिया भर की बड़ी ताक़तों की साईंसी तरक़्क़ी का मुक़ाबला नहीं कर सके। एक क़ौम (राष्ट्र)की हैसियत से हम साईंस में ख़ानगी सरमायाकारी को ख़ातिरख़वाह तौर पर मुतहर्रिक करने में कामयाब नहीं हुए। इस तरह की सरमायाकारी से हम अंदरून-ए-मुल्क पैदावर का 2 फीसद हिस्सा साईंसी रिसर्च में मसरूफ‌ करसकते हैं। उन्हों ने कहा कि साईंसदानों को ये मान्ना चाहीए कि शानदार कारकर्दगी( प्रदर्शन) की तमाम रिसर्च और तालीमी इदारों(शिक्षिक संस्थानों) में कोई हद मुक़र्रर नहीं होती। इस लिए इस इदारे को ज़रूरी है कि ख़ुद को वक़्फ़ करते हुए साईंसी तरक़्क़ी को अहमियत दें।

सी एस आई आर को चाहीए कि आने वाले बरसों में इन क़ौमी चैंपियनस‌ से निमटने ख़ुद को तय्यार करले और साईंस, इंजीनिरिंग और टैक्नालोजी के शोबों में क़ौमी क़ियादत को सँभाले। वज़ीर-ए-आज़म ने कहा कि नौजवान साईंसदानों को बड़े ख़ाब देखने की ज़रूरत है। वो मायूसी को अपने करीब आने ना दें। उन्हें ये जान कर ख़ुशी हुई कि सी एस आई आर ने हिंदूस्तान की तरक़्क़ी के मैदान में रिवायती तौर पर कामयाब होने का सबूत दिया है।

क़ौमी पोलिसीयों और क़ौमी तरजीहात को मद्द-ए-नज़र रख कर क़दम बढ़ाने में आज़ादी के इबतिदाई दिनों में ये इदारा दरआमदात में दुनिया का चमपन था। इस ने कई खामियों और रिसर्च सलाहियतों के फ़ुक़दान के बावजूद हमारी सनअती बुनियाद को दुबारा मज़बूत किया। वज़ीर-ए-आज़म (प्रधानमंत्री)ने इस बात की निशानदेही की कि जब हिंदूस्तान टैक्नालोजी से महरूम था, सी एस आई आर लेबोरेट्रीस‌ ने असरी एशिया-ए-और टैक्नालोजीज़ को इजाद में लाया। जैसा कि हिंदूस्तान का पहला सोपर कंप्यूटर, रेडेयशन शेलडिंग क्लास और अरो स्पेस-ओ-सैटेलाईटस के लिए मसह बिकती मैदान में आया।

इस के बाद हिंदूस्तान हिक्मत-ए-अमली के शोबा में काबिल-ए-एतिबार शरीक मुल्क बन गया। जब हिंदूस्तान आलमी सतह पर मआशी इस्लाहात लाते हुए ख़ुद को मुतहर्रिक किया तो वो डब्ल्यू टी ओ में शामिल होगया। सी एस आई आर फ़ौरी तौर पर उभरकर हमारे मुल्क में दानशोराना मलकीत की तहरीक चलाई। अब ये इदारा अमरीका और यूरोप के ज़रूरतमंदों का सब से बड़ा सहारा है।