सागर ऐसा होता है

जब वो मिलने आ जाता है, अक्सर ऐसा होता है
नज़रें जम कर रह जाती हैं, मंज़र ऐसा होता है

हमको कुछ मालूम नहीं था, मैख़ाने के बारे में
तेरी आँख से पी कर जाना, साग़र ऐसा होता है

जिस ने प्यार क्या वो जाने , कोई यकीं माने ना माने
जिस के सितम भी दिल को भायें, दिलबर ऐसा होता है

नींद उचटना, फिर लग जाना, ख़ाबों का रह रह के सताना
तुम आए हो, तुम बैठे हो, शब भर ऐसा लगता है

तुम ही कभी रहने आजाते कैसी रौनक बढ़ जाती
तुम ख़ुद देखो और बताओ, क्या घर ऐसा होता है?

तेरे शाने पर सर रख कर पहरों खोया रहता हूँ
लेटो तो बस नींद आजाए, बिस्तर ऐसा होता है

नीली नीली उस की आँखें, कोई समुंदर जैसे अनीस
इन आँखों में डूब के समझे, सागर ऐसा होता है