झारखंड में सादर राज के दौरान अफसरों ने सादर ए जम्हूरिया प्रणब मुखर्जी को भी अंधेरे में रखा। मंजूरी से पहले ही उनसे मंसूबा का संग ए बुनियाद करा लिया। मिस्टर मुखर्जी ने 30 मार्च को गोड्डा में मेगा हैंडलूम कलस्टर मंसूबा का संगे बुनियाद किया था। रियासत हुकूमत ने इसकी हरी झंडी दी थी। पर सच्चई यह है कि इस मेगा हैंडलूम कलस्टर की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) को अब तक मरकजी मंजूरी नहीं मिली है। तकरीबन 100 करोड़ रुपये की इस मंसूबा के लिए मरकजी हुकूमत के बजट में भी कोई तजवीज नहीं है। चीफ़ सेक्रेटरी आरएस शर्मा की तरफ से सनअत महकमा की ज़ायजा के दौरान यह बात सामने आयी। आनन-फानन में मरकजी टेक्सटाइल और हैंडलूम महकमा के अफसरों से बात की गयी, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। जमनी बजट पार्लियामेंट से पास किया जा चुका था। मौजूदा हालात में मेगा हैंडलूम कलस्टर की तामीर मुश्किल हो गया है।
संगे बुनियाद से पहले मांगी थी जानकारी
सादर भवन की तरफ से संगे बुनियाद से पहले ही मौजूदा रियासती हुकूमत को खत भेज कर मंसूबा बंदी के सिलसिले में जानकारी मांगी गयी थी। हुकूमत की सलाह पर देवघर वॉटर सप्लाय मंसूबा समेत दीगर मंसूबों का संगे बुनियाद करने से सादर ने मना कर दिया था। मेगा हैंडलूम कलस्टर मंसूबा पर रियासत हुकूमत की हरी झंडी के बाद ही सादर ने गोड्डा में मंसूबा का संगे बुनियाद किया था।
हर तीन माह में जानकारी मांगता है सादर भवन
इधर, सादर भवन हुकूमत से हर तीन महीने में सादर प्रणब मुखर्जी की तरफ से किये गये मंसूबों के संगे बुनियाद की डेव्लपमेंट पर जानकारी मांगती है। झारखंड के आला अफसरों को सादर भवन से आनेवाले खत का जवाब नहीं सूझ रहा है।