साध्वी प्रज्ञा की जमानत रद्द किया जाना सत्य और न्याय की जीत: नसीम खान

मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस विधायक मोहम्मद आरिफ नसीम खान ने मुंबई विशेष अदालत की ओर से मालेगांव बम धमाकों की प्रमुख आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जमानत को खारिज किए जाने को सही और न्याय की जीत बताया और न्यायिक निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि हालांकि एनआईए ने साध्वी की याचिका का विरोध नहीं किया था, उसे क्लीन चिट दी थी इसके बावजूद भी विशेष अदालत का यह ऐतिहासिक फैसला न्याय और न्याय के रखवालों की जीत है ग़ौरतलब है कि 2008 मालेगांव बम धमाकों की आरोपी साध्वी की गिरफ्तारी के समय महाराष्ट्र में कांग्रेस सरकार सत्ता में थी और नसीम खान गृह मंत्री के कर्तव्यों का पालन कर रहे थे और साध्वी को मकोका कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था .

लेकिन विशेष मकोका अदालत ने साध्वी और अन्य आरोपियों पर लगाया मकोका हटा दिया था जिसके खिलाफ महाराष्ट्र की राज्य सरकार में उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी और नसीम खान के इशारे पर महाराष्ट्र सरकार ने हाई कोर्ट के नामी वकील महीर देसाई को रखा था जिस के कारण हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने साध्वी और अन्य भगवा दहशतगर्द  पर आयद मकोका को बहाल रखा था और इसे सही ठहराया था.

अदालती फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नसीम खान ने कहा कि साध्वी और अन्य भगवा 4 आरोपियों के खिलाफ दिवंगत हेमंत करकरे और एटीएस के अधिकारियों ने पुख्ता सबूत इकठ्ठा किए थे यही कारण है कि उनके खिलाफ मकोका जैसा कड़ा क़ानून आयद हुआ था जिसे अदालत ने भी बरकरा रखा था लेकिन अफसोस ये है कि केंद्र और राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद सरकारों ने भगवा दहशतगर्द के लिये नरम विकल्प रखा है जिसका परिणाम के तहत एनआईए ने साध्वी को जमानत पर रिहा किए जाने के लिये मार्ग प्रशस्त और जमानत पर रिहा किए जाने का समर्थन भी किया.