साध्वी प्रज्ञा को टिकट देकर बीजेपी ने मुसलमानों को जानबूझकर नाराज़ किया!

मालेगांव महाराष्ट्र का वो शहर है जो पिछले 11 बरस से रह-रहकर सुर्खियों में आता है। सितंबर 2008 में इस शहर ने धमाकों का वो जख्म झेला था जिसमें 6 लोगों की जान चली गई थी और इन्हीं धमाकों के बाद पहली बार हिंदू आतंकवाद शब्द सामने आया था। साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर इसमें गिरफ्तार हुईं थीं।

अब 11 बरस बाद कोर्ट के फैसले के बाद हिंदू आतंकवाद का मुद्दा फिर से उठा है लेकिन इस बार ये मुद्दा खत्म होने के लिए उठा है। बीजेपी ने इन धमाकों की आरोपी साध्वी प्रज्ञा को भोपाल से दिग्विजय सिंह के खिलाफ मैदान में उतारा है। साध्वी को मैदान में उतारने से मालेगांव के मुसलमानों को लग रहा है कि उनके ज़ख्मों को किसी ने कुरेद दिया हो।

इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम के अनुसार, साध्वी को टिकट देने से मुसलमान नाराज़ हैं और उनकी इसी नाराज़गी ने शहर में दो फाड़ कर दिया हैं। महाराष्ट्र के नासिक ज़िले का ये दूसरा बड़ा शहर है और धुले लोकसभा क्षेत्र में आता है जहां से रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे चुनाव जीते थे।

इस बार वो फिर से यहां से चुनावी मैदान में हैं। 10 लाख की आबादी वाले मालेगांव में 75 फीसदी से ज्यादा मुसलमान हैं। 11 साल पहले धमाके हुए लेकिन आज ये शहर शांत है। लोग अपनी रोज़ी-रोटी के लिए दिन रात एक कर रहे हैं।

2011 की जनगणना के हिसाब से मालेगांव में करीब 76 फीसदी मुस्लिम हैं जबकि हिंदुओं की आबादी 22 फीसदी है। उसके बाद 1.42 फीसदी बौद्ध, 0.82 फीसदी जैन और 0.10 फीसदी इसाई रहते हैं। ज़ाहिर है मालेगांव सीट पर फैसला मुसलमान करते हैं।

बीजेपी ने रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे को धुले सीट से उम्मीदवार बनाया है तो कांग्रेस ने कुणाल पाटिल को मैदान में उतारा है। यहां मुकाबला भले ही बीजेपी और कांग्रेस के बीच में हो लेकिन दिलचस्प बात ये है कि धुले लोकसभा सीट से 11 मुस्लिम उम्मीदवार भी मैदान में हैं और सबकी नज़रें इन्हीं मुस्लिम वोटरों की तरफ लगी है।