साबिक़ एम डी ने जेनरल मैनेजर की दस्तख़त के बिना 2 करोड़ रुपये ट्रांसफ़र कैसे किए?

अक़लीयती मालीयाती कारपोरेशन के बैंक अकाउंट्स से धोका दही और जालसाज़ी के ज़रीए 78.1 करोड़ रुपये निकाले जाने के बाद से अब तक सी आई डी ने मुख़्तलिफ़ मुक़ामात और बैंकों पर धावे करते हुए 19 करोड़ रुपये बरामद किए, जिस में अक़लीयती मालीयाती कारपोरेशन को 5 करोड़ रुपये हासिल हो चुके हैं।

ज़राए का कहना है कि अनक़रीब 12 करोड़ रुपये भी हासिल हो जाएंगे। 78.1 करोड़ रुपये मालियती इस स्क़ाम के मंज़र-ए-आम पर आते ही ग़रीब मुस्लिम तलबा और उन के सरपरस्तों में बेचैनी की लहर पैदा हो गई थी।

सेक्रेट्री महिकमा अक़लीयती मिस्टर दाना किशोर आई ए एस ने फ़ौरी कार्रवाई करते हुए सी आई डी के ऐडीशनल डायरेक्टर जेनरल मिस्टर पी रमनामूर्ती से रुजू होते हुए शिकायत दर्ज करवाई थी। सी आई डी तहक़ीक़ात से जहां मुख़्तलिफ़ फ़र्ज़ी कंपनीयों के नाम से तक़रीबन 240 चेकों के ज़रीए रक़म निकाले जाने का इन्किशाफ़ हुआ वहीं इस बात का भी इन्किशाफ़ हुआ है कि

इस स्क़ाम में अक़लीयती मालीयाती कारपोरेशन के मुअत्तल शूदा मैनेजिंग डायरेक्टर इलयास रिज़वी और मुअत्तल जेनरल मैनेजर मुहम्मद लियाक़त अली का भी अहम रोल रहा है। चेकों की इजराई और फिक्स्ड डिपाज़िट के मौज़ू पर क़ानून को भी बालाए ताक़ रख दिया।

क़ानून के तहत अक़लीयती मालीयाती कारपोरेशन की जानिब से रक़म फिक्स्ड डिपाज़िट करवाने के लिए मैनेजिंग डायरेक्टर और जेनरल मैनेजर की दस्तख़तें ज़रूरी हैं लेकिन बैंक आफ़ इंडिया एल बी नगर ब्रांच में जो एक करोड़ रुपये डिपाज़िट करवाए गए इस पर सिर्फ़ जेनरल मैनेजर लियाक़त अली (जो अब मुअत्तल हुए हैं) उस के बांड का नंबर 869941110000101 बताया जाता है।

इस सिलसिला में 2 नवंबर 2012 को बैंक आफ़ इंडिया के ब्रांच मैनेजर ने मैनेजिंग डायरेक्टर आंधरा प्रदेश अक़लीयती मालीयाती कारपोरेशन को मौसूमा मकतूब में बताया कि वो 18-10-2012 को भी एक मकतूब रवाना करते हुए अक़लीयती मालीयाती कारपोरेशन को बताया था कि एफ डी पर जेनरल मैनेजर के दस्तख़त हैं। दो करोड़ की रक़म इंडियन बैंक नारायण गुड़ा से आंधरा बैंक मारेड पल्ली ब्रांच को मुंतक़िल की गई। इस चेक का नंबर 857897 है।

हैरत की बात ये है कि दो करोड़ रुपये की रक़म इलयास रिज़वी और लियाक़त अली ने मुबैयना तौर पर 31 दिसंबर 2011 को स्टेट बैंक आफ़ इंडिया तरमलगिरी ब्रांच से निकाली और उस तारीख़ को हफ़्ता था जबकि उन लोगों ने किसी मुजरिमाना साज़िश के तहत दूसरे दिन इतवार को रक़म अपने पास रखी या दफ़्तर अक़लीयती मालीयाती कारपोरेशन में ही रख दिया।

पीर 2 जनवरी 2012 को फिर से ये रक़म अंदरून 24 घंटे जमा करवा दी गई। सिर्फ़ 24 घंटों के लिए आख़िर 2 करोड़ रुपये की कसीर रक़म क्यों और किस लिए निकाली गई जब कि इतवार को दफ़्तर अक़लीयती मालीयाती कारपोरेशन काम ही नहीं करता।

निकाले गए और फिर जमा करवाए गए दो करोड़ रुपये का टी आर एफ़ नंबर 0031962604453 है। अक़लीयती मालीयाती कारपोरेशन के बाअज़ ओहदेदारों का कहना है कि इलयास रिज़वी और लियाक़त अली सारे इदारा को यरग़माल बनाए हुए थे और अपनी इजारादारी क़ायम किए हुए थे।

ज़राए का कहना है कि सी आई डी की जारी तहक़ीक़ात में मुअत्तल शूदा मैनेजिंग डायरेक्टर जेनरल मैनेजर के ख़िलाफ़ कई नए इन्किशाफ़ात मंज़र-ए-आम पर आ सकते हैं।

वाज़ेह रहे कि सी आई डी ने अपनी तहक़ीक़ात में पता चलाया कि केशव रावव ने कारपोरेशन की जानिब से दो अक्सात में जुमला 78 करोड़ रुपये विजया बैंक की तीन ब्रांचेस में जमा करवाए थे और बाद में मुल्ज़िमीन ने 240 चेकों के ज़रीए 16 मुख़्तलिफ़ फ़र्ज़ी कंपनीयों के नाम पर रक़म मिनहा कर ली।

अब ये सवाल पैदा होता है कि इलयास ने आख़िर किन वजूहात पर केशव रावव की ख़िदमात हासिल किए और केशव राव ने किस हैसियत से कारपोरेशन की रक़म जमा करवाई? और विजया बैंक में कसीर रक़म जमा करने के इवज़ मुअत्तल एम डी और जेनरल मैनेजर लियाक़त को कितनी रक़म हासिल हुई?

हैरत की बात ये है कि अक़लीयती मालीयाती कारपोरेशन के मुअत्तल शूदा एम डी ने बारहा इस स्क़ाम में अपने किसी रोल की तरदीद की है जबकि लियाक़त अली ने इन्क्वाइरी ऑफीसर्स के सामने पेश होने के दौरान मीडीया से बातचीत से गुरेज़ किया। बहरहाल देखना ये है कि सी आई डी की तहक़ीक़ात में मज़ीद कौन से इन्किशाफ़ात मंज़र-ए-आम पर आते हैं।