आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने आज साबिक़ पुलिस कांस्टेबल मुहम्मद अबदुलक़दीर की पेरोल में तौसीअ से इनकार करते हुए उन्हें 01 नवंबर को जेल हुक्काम के रूबरू ख़ुद सपुर्द होने की हिदायत दी।
जस्टिस रमेश रंगनाथन ने ये अहकामात जारी किए। वाज़िह रहे कि अबदुलक़दीर की बीवी साबरा बेगम ने पिछ्ले साल हाईकोर्ट में रिट दरख़ास्त दाख़िल करते हुए उनके शौहर की उम्र क़ैद की सज़ा मुकम्मिल होने के बावजूद भी उन की अदम रिहाई को गै़रक़ानूनी क़रार देते हुए 50 लाख रुपये का हर्जाना का मुतालिबा किया था।
लेकिन हाईकोर्ट ने हुकूमत को इस सिलसिले में अबदुलक़दीर की रिहाई से मुताल्लिक़ फ़ैसला करने का इख़तियार दिया था जबकि हुकूमत की तरफ से ये बताया गया था कि अबदुलक़दीर की रिहाई से शहर की पुरअमन फ़िज़ा को ख़तरा होसकता है जबकि ख़राबी सेहत की बुनियाद पर 27 दिसमबर 2012 को दो माह की पेरोल पर उन्हें रिहा किया गया था।
एडवोकेट पुष्पेंद्र कौर जो अबदुलक़दीर की पैरवी कररही हैं ने अदालत में साबिक़ कांस्टेबल को तवील अर्सा से महरूस रखने को गै़रक़ानूनी क़रार दिया था जिस के नतीजे में हाईकोर्ट ने अब तक तीन मर्तबा उनकी पेरोल में तौसीअ की थी।
जस्टिस रंगनाथन ने साबिक़ कांस्टेबल अबदुलक़दीर को ख़ुद सपुर्द होने की हिदायत देते हुए सरकारी वकील से हिज़्ब उल-मुजाहिदीन के रुकन मुजीब अहमद जो साल 1993 में पेश आए एडीशनल सुपरिन्टेन्डेन्ट आफ़ पुलिस प्रसाद के क़त्ल केस में शमिल था से मुताल्लिक़ तमाम रिकार्ड अदालत में पेश करने की हिदायत दी और 5 नवंबर कोर्ट दरख़ास्त की समाअत मुक़र्रर की।