साबिक़(पूर्व)कांस्टेबल अबदुल क़दीर का सीधा पैर जो कि मुतास्सिर (पीड़ित/ दुष्कर) हो चुका था उसे गांधी हॉस्पिटल में डॉक्टर्स ने ज़हर फैलने के सबब ( कारण/ वजह से) काट दिया । अबदुल क़दीर का पैर काट दिए जाने की इत्तिला मिलने के बाद जनाब ज़ाहिद अली ख़ान अडीटर रोज़नामा सियासत अपने फ़र्ज़ंद ( पुत्र/ बेटे) जनाब आमिर अली ख़ान न्यूज़ अडीटर सियासत के हमराह गांधी हास्पिटल पहुंच कर अबदुल क़दीर से मुलाक़ात करते हुए इयादत ( मिजाजपुर्सी/रोगी का हाल पूछने और ढाढ़स देने जाना) की ।
जनाब ज़ाहिद अली ख़ान से मुलाक़ात के दौरान अबदुल क़दीर बारहा ( अकसर/ बराबर) जज़बात ( भावनाएं) से मग़्लूब (Defeated/ हारना) अपने बच्चों के मुस्तक़बिल ( भविष्य) के मुताल्लिक़ सोंचते हुए बच्चों की तरह बुलक कर रो रहे थे । जनाब ज़ाहिद अली ख़ान ने उन्हें दिलासा देते हुए कहा कि वो अपनी जानिब से मस्नूई (बनावटी) पैर का इंतेज़ाम करते हुए मस्नूई ( बनावती/ Artificial) पैर लगाने के लिए डॉक्टर्स से मुशावरत ( विचार विमर्श) करेंगे ।
अडीटर सियासत ने बताया कि अबदुल क़दीर जो कि अपने जुर्म से ज़्यादा सज़ा काट चुके हैं के ईलाज पर अदम तवज्जही के सबब ये सूरत-ए-हाल पैदा हुई है । उन्होंने बताया कि इदारा सियासत अबदुल क़दीर और उन के अफ़राद ख़ानदान को इंसाफ़ दिलाने की जद्द-ओ-जहद में कलीदी किरदार अदा कर रहा है ।
इस सिलसिले में क़ौमी यकजहती ( एकता) कौंसल और मर्कज़ी हुकूमत से भी मसला (समस्या) को रुजू (सामने लाना/ आकृष्ट) किया गया था कि अबदुल क़दीर की सेहत और जेल में बेहतर किरदार को मद्द-ए-नज़र रखते हुए उन की रिहाई के इक़दामात ( Proceedings/ कार्यवाही) किए जाएं लेकिन ऐसा मुम्किन नहीं हो सका जिस के नतीजा में इन का ईलाज गांधी हॉस्पिटल में गुज़श्ता चार माह से जारी था ।
चार माह से मुसलसल ईलाज के बाद भी ज़ख्मों के मुंदमिल (ज़ख्म का भरना )ना होने के सबब गुज़श्ता हफ़्ता डॉक्टर्स ने अबदुल क़दीर के पैर को घुटने के ऊपर से काट दिया । अबदुल क़दीर मुलाक़ात के दौरान ख़ुद को अपाहिज तसव्वुर ( कलपना) करते हुए ये कह रहे थे कि अब एहसास हो रहा है कि अपनी क़ुव्वत क्या होती है ।
अबदुल क़दीर ने जनाब ज़ाहिद अली ख़ान की जानिब से मस्नूई ( बनावटी) पैर का इंतेज़ाम किए जाने के तयक्कुन ( यकीन) पर इज़हार-ए-तशक्कुर किया । जनाब ज़ाहिद अली ख़ान ने बताया कि ज़रूरत पड़ने पर बैरून-ए-मुल्क ( विदेश) से भी मस्नूई पैर मंगवाने के इंतिज़ामात किए जाऐंगे ।
जनाब अबदुल क़दीर जो कि 1990 के दहिय में हुए फ़सादाद के दौरान एक फिर्कापरस्त ओहदेदार को क़त्ल करने के इल्ज़ाम में उम्र क़ैद की सज़ा काट रहे हैं । उन की सज़ा मुकम्मल होने के बावजूद भी वो जेल में क़ैद हैं जबकि उन के अफ़राद ख़ानदान बिलख़सूस उन की मरहूम माँ ने बारहा (अकसर/ बराबर) इस सिलसिले में हुकूमत से नुमाइंदगी करते हुए इस बात की ख़ाहिश की थी कि अबदुल क़दीर की रिहाई के लिए इक़दामात ( कार्यवाही/ कार्यनिष्पादन/ Procedding) किए जाएं लेकिन हुकूमत की जानिब से अबदुल क़दीर के मुआमले में बरती गई सर्द मोहरी के नतीजे में वो अबदुल क़दीर जिस ने अपनी क़ौम पर हो रहे मज़ालिम ( ज़ुल्म/ अत्याचार) को बर्दाश्त ना करते हुए अपने ही आला ओहदेदार पर हमला कर दिया था आज एक पैर से माज़ूर (अपंग) हो चुका है । अगर अबदुल क़दीर के ईलाज के लिए फ़ौरी तौर पर बरवक़्त इक़दामात किए जाते और उन्हें किसी कॉरपोरेट हॉस्पिटल में शरीक कराया जाता तो मुम्किन है क़ैद-ओ-बंद की ज़िंदगी गुज़ारने वाला ये शख़्स कम अज़ (से) कम माज़ूर ( अपंग) होने से महफ़ूज़ रह जाता ।