मुंबई: साबिक़ चीफ़ जस्टिस आफ़ इंडिया सरोश होमी कपाडिया का क़्लब पर हमले के सबब कल रात इंतेक़ाल हो गया। बंबई हाइकोर्ट के ज़राए ने ये इत्तेला देते हुए कहा कि कपाडिया के पसमानदगान में अहलिया के अलावा एक फ़र्ज़ंद और एक दुख़तर शामिल हैं।
जस्टिस कपाडिया की आख़िरी रसूमात पार्सी रिवायात के मुताबिक़ आज शाम जुनूबी मुंबई में अदा की गईं। इस मौक़े पर कई सरकरदा जजस और हाइकोर्ट का अमला भी मौजूद था।
जस्टिस कपाडिया सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस और चीफ़ जस्टिस की हैसियत से कई तारीख़ी और मिसाली फ़ैसले सादर किए थे। वो1947 में मुंबई में पैदा हुए थे और मुंबई में वाक़्य एशिया की क़दीम तरीन क़ानूनी दरसगाह गर्वनमेंट ला कॉलेज से ग्रैजुएशन किया था।
उन्होंने मुलाज़िम दर्जा चहारुम की हैसियत से अपनी अमली ज़िंदगी का आग़ाज़ किया था। गागरत ऐंड कंपनी से बहैसियत क्लर्क वाबस्ता हुए थे।
वो एक शोला बयान मज़दूर हामी क़ानूनदां फ़िरोज़ दामानीह के साथ भी ख़िदमात अंजाम दे चुके हैं। जस्टिस कपाडिया10 सितम्बर1974 को बंबई हाइकोर्ट के ऐडवोकेट बनाए गए। 18 मई2003 को सुप्रीमकोर्ट जज और12 मई2010 को हिन्दुस्तान के 38 वीं चीफ़ जस्टिस के ओहदे पर फ़ाइज़ हुए थे|