नई दिल्ली
दिल्ली हाइकोर्ट ने आज साबिक़ चीफ़ मिनिस्टर हरियाणा ओम प्रकाश चौटाला और उन के फ़र्ज़ंद अजए चौटाला के अलावा दीगर 3 अफ़राद की टीचर्स के तक़र्रुत के अस्क़ाम के मुक़द्दमे में करप्शन केलिए 10 साल सज़ाए क़ैद के फ़ैसले की तौसीक़ करदी। जस्टिस सिद्धार्थ मरदोल ने शेर सिंह बाद शामी और दो आई ए ऐस ओहदेदारों विद्याधर और संजीव कुमार की सज़ाए क़ैद के फ़ैसले की भी तौसीक़ करते हुए कहा कि उन्होंने असातिज़ा के तक़र्रुत के तरीका-ए-कार को करप्शन के ज़रिये बदनाम और मसख़ किया है।
जज ने ये भी कहा कि मुजरिमों ने दीगर सरकारी मुलाज़मीन अख़लाक़ी मयारों को भी चैलेंज किया है और दूसरों पर भी दबाव डाला है कि वो अपनी ख़ाहिशात के मुताबिक़ अमल करें। हाइकोर्ट ने बाक़ी 50 मुजरिमों की सज़ाए क़ैद में तरमीम करते हुए उसे दो साल कर दिया। ज़मानत पर रिहाई की तमाम दरख़ास्तों की यकसूई करदी गई जो हाइकोर्ट के इजलास पर ज़ेर-ए-इलतिवा थीं और उन्हें ख़ुदसपुर्दगी की हिदायत दी।
हाइकोर्ट ने कहा कि जो लोग पहले ही दो साल की सज़ाए क़ैद भुगत चुके हैं , उन्हें रिहा कर दिया जाये। 78 साला चौटाला ने 7 फ़रवरी को हाइकोर्ट में अपनी सज़ा-ए-और मुजरिम क़रार दिए जाने के फ़ैसले को चैलेंज किया था और सज़ाए क़ैद को मुअत्तल रखने की दरख़ास्त की थी। इन का कहना था कि वो मुख़्तलिफ़ बीमारीयों का शिकार और बीमार हैं।