खैरताबाद में वाक़ै इंटेलिजेंस स्कियोरटी विंग के दफ़्तर में उस वक़्त सनसनी फैल गई जब ख़राबी सेहत और ज़हनी दबाव से दो-चार साबिक़ डिप्टी सुपरिन्टेन्डेन्ट आफ़ पुलिस ने अपनी सरविस पिस्तौल से गोली मारकर ख़ुदकुशी करली।
के सुरेश राव साबिक़ में तेलंगाना के चीफ़ मिनिस्टर के चन्द्रशेखर राव के सेक्यूरिटी ऑफीसर की हैसियत से ख़िदमात अंजाम दिए थे। पुलिस ज़राए ने बताया कि शाम 4.40 पर डी एस पी सुरेश राव ने अपने मातहतों से दफ़्तर में मुलाक़ात की और बादअज़ां अपने चैंबर के दरवाज़े बंद करलिए और कुछ ही देर में वहां के अमले ने एक गोली की आवाज़ सुनी।
इंटेलिजेंस सेक्यूरिटी अमला ने सुरेश राव को ख़ून में लुत पुत पाया और इसके हाथ में सरविस पिस्तौल भी पाई गई। सुरेश राव को फ़ौरी निज़ाम इंस्टीटियूट आफ़ मेडिकल साइनसंस् मुंतक़िल किया गया जहां पर डाक्टरों ने उसे मुर्दा क़रार दिया।
मुतवफ़्फ़ी ओहदेदार के ख़ानदानी ज़राए के बमूजब वो पिछ्ले चंद अर्से से अलील था और जारीया साल जुलाई में मलकपेट में वाक़्ये यशोधा हॉस्पिटल में ईलाज के लिए शरीक किया गया था वो डायबिटीज और दुसरे बीमारीयों से परेशान था।
मुतवफ़्फ़ी डी एस पी का ताल्लुक़ यलाकरती मंडल ज़िला करीमनगर से है और वो रामनतापुर का साकन था जबकि उसे दो लड़के है जो सी बी आई टी और इंटरमीडीएट की तालीम हासिल कररहे हैं।
डिप्टी कमिशनर पुलिस वैस्ट ज़ोन ने इस वाक़िये से मुताल्लिक़ तफ़सीलात बताते हुए कहा कि सुरेश राव ने इंतिहाई क़रीब से ख़ुद को गोली मार ली जिस के सबब जाये हादिसा पर ही मौत वाक़्ये होगई। पंजागुट्टा पुलिस ने डी एस पी की लाश को गांधी हॉस्पिटल के मुर्दा ख़ाना मुंतक़िल किया जहां पर इस का पोस्टमार्टम किया गया और रियासती वज़ीर-ए-दाख़िला नाईनी नरसिम्हा रेड्डी ने गांधी हॉस्पिटल पहूंच कर मुतवफ़्फ़ी ओहदेदार के अरकान ख़ानदान को पुर्सा दिया। सुरेश का ताल्लुक़ ए पी एस पी के 1991 के सब इन्सपेक्टर बयाचि से था और वो पिछ्ले 10 साल से इंटेलिजेंस सेक्यूरिटी विंग से वाबस्ता है।
वाज़िह रहे कि रियासती पुलिस का ये शोबा चीफ़ मिनिस्टर और दुसरे अहम वुज़रा-ओ-अरकान असेंबली को सेक्यूरिटी फ़राहम करता है।