साबिक़ वज़ीर बशीर उद्दीन बाबू ख़ान का इंतिक़ाल

जुनूब हिंद के मुमताज़ सियासी-ओ-समाजी क़ाइद बशीर उद्दीन बाबू ख़ान को सैंकड़ों ग़मगुसारों ने बादेदा नम क़ब्रिस्तान रोड नंबर2 बंजारा हिलस में सपुर्द लिहद किया।

बशीर उद्दीन बाबू ख़ान ने सुबह 10 बजे दाई अजल को लब्बैक कहा। वो कुछ अर्सा से अलील थे। नमाज़ जनाज़ा शाही मस्जिद बाग़आम में अदा की गई।

मरहूम के एक अज़ीज़ अली आज़म ने नमाज़ जनाज़ा पढ़ाई। इस मौके पर शहर की नामवर नुमाइंदा हस्तियां मौजूद थीं जिन में एडीटर सियासत जनाब ज़ाहिद अली ख़ान , न्यूज़ एडीटर आमिर अली ख़ान के अलावा मुहम्मद अली शब्बीर एम एलसी, मुहम्मद फ़रीद उद्दीन साबिक़ वज़ीर, महमूद अली एम एलसी (टी आर एस), ए के ख़ान आई पी एस-ओ-वाइस चैरमैन मैनेजिंग डायरेक्टर ए पी एस आर टी सी, अरशद अयूब साबिक़ टेसट क्रिकेटर, मिर्ज़ा यावर अली बैग, ज़फ़र जावेद, रऊफ उद्दीन फ़ारूक़ी, महमूद इशफ़ाक़, मौलाना नसीरउद्दीन, हामिद मुहम्मद ख़ान, के एम आरिफ़ उद्दीन, मुहम्मद अली रफ़अत आई ए एस, नयर कादरी और ख़लीक़ उलरहमन क़ाबिल-ए-ज़िकर हैं।

जुबली हिलज़ पे वाक़्ये बाबू ख़ान मरहूम के घर पहुंच कर इज़हार ताज़ियत करने वालों में टी सिबी रामी रेड्डी, के केशव राव, वि हनुमंत राव‌, शामिल हैं।

बशीर बाबू ख़ान के पसमांदा गान में बीवी सरूर बाबू ख़ान, फ़र्ज़ंद सलमान बाबू ख़ान और दो साहिबज़दयाँ शामिल हैं। बशीर उद्दीन बाबू ख़ान हैदराबाद की वज़ादार शख़्सियत ख़ान बहादुर अबदुलकरीम बाबू ख़ान के फ़र्ज़ंद और ग़ियास उद्दीन बाबू ख़ान के बड़े भाई थे।

20 सितंबर 1941 को उनकी विलादत हुई। इंतिक़ाल के वक़्त उनकी उम्र 72 बरस थी। बशीर उद्दीन बाबू ख़ान आला तालीमयाफ्ता बिल्डर और सियासतदान थे।

वो तेलुगूदेशम पार्टी के बानी रुकन रहे। एन टी आर और नायडू के दौर‍ ए‍ हुकूमत में वज़ीर रहे। वो आंध्र प्रदेश के पहले मुस्लिम वज़ीर आला तालीम रहे।

बी जे पी से तेलुगूदेशम की इंतिख़ाबी मुफ़ाहमत के ख़िलाफ़ एहतेजाजी इक़दाम के तौर पर उन्होंने वज़ारत से स्तीफ़ा दे दिया था। 2004 में वो कांग्रेस से वाबस्ता होगए।

बशीर उद्दीन बाबू ख़ान ने एक बिल्डर की हैसियत से रेइल स्टेट की दुनिया में बाबू ख़ान फ़ैमिली की एक मुनफ़रद पहचान बनाई। बाबू ख़ान स्टेट दोनों शहर की सब से बलंद तरीन 17 मंज़िला इमारत तामीर की।

इस के अलावा उन्होंने कई मल्टी स्टोरी बिल्डिंग्स तामीर करवाई। वो मिल्लत का दर्द रखने वाले सयासी क़ाइद थे। उन्होंने अपने हल्क़ा-ए-इंतख़ाब बोधन में मुसलमानों की तालीमी समाजी और मुआशरती तरक़्क़ी के लिए सरकारी स्किमत से मुताल्लिक़ शऊर को बेदार करने के लिए कई वर्क शॉप्स का एहतेमाम किया।

रियासती हज हाउज़ की तामीर की तजवीज़ भी उन्होंने ही पेश की थी। बशीर उद्दीन बाबू ख़ान इंतेहाई मुत्तक़ी परहेज़गार सोम-ओ-सलात के पाबंद थे।

उन्होंने नई नसल को इस्लामी तालीमात से आश्ना करने की ग़रज़ से दीनी मालूमाती किताबें और मज़ामीन के अंग्रेज़ी में तराजुम करवाए।

उनकी बीवी सुरूर बाबू ख़ान जो पिर नजम उद्दीन गिलानी के हैदराबाद में ख़लीफ़ा मौलाना नवाब इबराहीम ख़लील गिलानी की साहबज़ादी हैं बाबू ख़ान की रहनुमाई में ख़वातीन की फ़लाह-ओ-बहबूद और उनकी ख़ुद कफ़ालत के लिए एन जी ओ चलाती हैं। हाल ही में बशीर बाबू ख़ान ने अपनी सवानिह हयात भी शाय की थी और उन्हें मेस्कू और नेशनल कमीशन फ़ार माइनॉरिटी एजूकेशन इंस्टी टयूशंस हुकूमत-ए-हिन्द ने कारनामा हयात एवार्ड पेश किया था।