बी जे पी के लिए एक बड़ी उलझन पैदा करते हुए एक अदालत ने पार्टी के साबिक़ सदर मिस्टर बंगारू लक्ष्मण को एक फ़र्ज़ी फ़र्म को दिफ़ाई कंट्टर एक्ट दिलाने एक लाख रुपय रिश्वत हासिल करने का मुर्तक़िब क़रार दिया है । मिस्टर बंगारू लक्ष्मण के मुआमला में ये कहावत बिलकुल दरुस्त साबित हुई कि क़ानून के हाथ लंबे होते हैं।
एडीशनल सेशन जज मिस्टर कंवल जीत अरोड़ा ने मिस्टर बंगारू लक्ष्मण को हथियारों के एक फ़र्ज़ी ताजिर से रिश्वत लेने का मुर्तक़िब क़रार दिया ताकि फ़ौज को थर्मल ऐनकों की सरबराही का कौन्ट्रैक्ट एक फ़र्म को दिलाने की सिफ़ारिश कर सकें। मिस्टर लक्ष्मण एक साबिक़ मर्कज़ी वज़ीर हैं और एक स्टिंग ऑपरेशन में उन्हें कैमरे पर पार्टी हेडक्वार्टर में उन के चैंम्बर में रिश्वत लेते हुए दिखाया गया था।
इस वाक़्या के फ़ौरी बाद उन्हें बी जे पी की सदारत से इस्तीफ़ा देना पड़ा था । उस वक़्त इस स्टिंग ऑपरेशन से ज़बरदस्त सयासी बोहरान पैदा होगया था । 72 साला मिस्टर बंगारू लक्ष्मण को आज अदालती कार्रवाई की तकमील के फ़ौरी बाद सी बी आई ने अपनी तहवील में लेकर अदालती तहवील में तिहाड़ जेल मुंतक़िल कर दिया ।
इन को कल 10.30 बजे दिन दुबारा अदालत में पेश किया जाएगा जब उन की सज़ा की मुद्दत पर मुबाहिस होंगे । अदालत ने मिस्टर बंगारू लक्ष्मण के वकील की जानिब से ज़मानत की दरख़ास्त की समाअत से इनकार कर दिया और कहा कि वो सज़ा का ऐलान करने के बाद ही इस दरख़ास्त की समाअत कर सकते हैं।
क्रीम कलर के कुर्ते और सफेद पैजामे में मलबूस मिस्टर लक्ष्मण अदालत में फैसला सुनाए जाने के वक़्त हैरत-ओ-सदमा का शिकार थे । वो किसी से बात नहीं कर रहे थे और गवाहों के कटघरे में कुछ देर तक बैठे रहे । अदालत में सज़ा सुनाए जाने के वक़्त इन की दुख्तर( पुत्री) भी मौजूद थीं। पुलिस ने उन्हें वहां तहवील में ले लिया ।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि सी बी आई ये वाज़िह करने में कामयाब रही है कि मिस्टर बंगारू लक्ष्मण ने एक लाख रुपये रिश्वत हासिल की थी । मिस्टर लक्ष्मण को अदालत कुसूरवार क़रार देती है और उन्हें इंसेदाद करप्शन क़ानून के दफ़ा 9 के तहत ख़ाती क़रार देती है । अदालत ने करप्शन के केस में अपना फैसला 3 अप्रैल को महफ़ूज़ रखा था जब फ़रीक़ैन के वुकला की मुबाहिस मुकम्मल हो गई थी ।
तहलका डाट काम के एक स्टिंग ऑपरेशन में मिस्टर बंगारू लक्ष्मण को 13 मार्च 2001 को अपने दफ़्तर में बैठ कर रिश्वत हासिल करते हुए दिखाया गया था । इस इन्केशाफ़ के बाद सयासी हंगामा आराई हुई थी और उन्हें बी जे पी की सदारत से इस्तीफ़ा देना पड़ा था । कुछ सहाफ़ीयों ने ख़ुद को बर्तानिया से काम करने वाली एक फ़र्ज़ी अस्लाह कंपनी के कारिंदे ज़ाहिर करते हुए मिस्टर बंगारू लक्ष्मण से मुलाक़ात की थी और उन्हें एक लाख रुपये रक़म की रिश्वत पेश की थी ताकि उन की कंपनी को एक दिफ़ाई कौन्ट्रैक्ट दिलाया जा सके । सी बी आई चार्च शीट में कहा गया है कि तहलका का इद्दिआ है कि सहाफ़ीयों को ख़ुद को कंपनी एजेंट ज़ाहिर करते हुए मिस्टर लक्ष्मण से आठ मर्तबा मुलाक़ात की थी ।
ट्रायल की अदालत की जानिब से मिस्टर लक्ष्मण के साबिक़ पर्सनल सेक्रेटरी मिस्टर टी सत्य मूर्ती को माफ़ी दी जा चुकी है क्योंकि वो इस केस में सरकारी गवाह बन गए थे ।बी जे पी ने इस फैसले पर किसी रद्द-ए-अमल का इज़हार नहीं किया है । पार्टी ने इससे ख़ुद को अलग करने की कोशिश करते हुए कहा कि ये उनका ज़ाती फे़अल था और इस से पार्टी का कोई ताल्लुक़ नहीं था ।
कांग्रेस ने अपने रद्द-ए-अमल में कहा कि बी जे पी को मुहासिबा की ज़रूरत है।