नई दिल्ली: साबिक़ स्पीकर लोक सभा पी ए संगमा का क़लब पर हमले के बाइस इंतेक़ाल हो गया। 68 साला संगमा ने मेघालय में पारलीमानी हलक़ा तोरा से 9 मर्तबा मुंतख़िब हुए थे। उन्हें शुमाल मशरिक़ी रियासतों से स्पीकर लोक सभा के ओहदे पर फ़ाइज़ होने का एज़ाज़ हासिल हुआ था।
स्पीकर लोक सभा सुमित्रा महाजन को संगमा के इंतेक़ाल की इत्तेला मिलते ही उनके सोग में ऐवान की कार्रवाई एक दिन के लिए मुल्तवी कर दी। राज्य सभा में भी प्रोटोकॉल के क़त-ए-नज़र लंच वक़फ़ा के फ़ौरी बाद ऐवान की कार्यवाई मुल्तवी कर दी गई ताकि अरकान संगमा को ख़िराज-ए-अक़ीदत पेश कर सकें।
पसमानदगान में अहलिया, 2लड़के और एक लड़की शामिल हैं। पी ए संगमा ने अपना सियासी कैरीयर कांग्रेस से शुरू किया और 1984 में राजीव गांधी हुकूमत में वो मुमलिकती वज़ीर बादअज़ां नरसिम्हा राव की हुकूमत में वज़ीर लेबर बनाए गए थे। अटल बिहारी वाजपाई हुकूमत की 13 रोज़ा हुकूमत की तशकील से क़बल कांग्रेस उम्मीदवार की हैसियत से संगमा को स्पीकर लोक सभा की हैसियत से क़बूल कर लिया गया था लेकिन उन्होंने सोनिया गांधी की बैरूनी नज़ाद शख़्सियत के मसले पर शरद पवार के साथ कांग्रेस से बग़ावत कर दी थी और दोनों ने मिलकर नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी क़ायम की थी।
मुंबई कारपोरेशन के इंतेख़ाबात में प्रणब मुकर्जी के ख़िलाफ़ बी जे पी उम्मीदवार की हैसियत से मुक़ाबला करने पर संगमा को एनसीपी से ख़ारिज कर दिया गया था जिसके बाद उन्होंने तृणमूल नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी तशकील दी|