सारी दुनिया नूर हिदायत की मुहताज, इस्लाम सारे आलम के लिए रहमत

हैदराबाद 07 अप्रैल: दीन दीं इस्लाम में मसाजिद को काफ़ी एहमीयत हासिल है और मस्जिदों को अल्लाह के नबी(सल्लललाहु अलैहि वसल्लम) ने उमते मुस्लिमा के मराकज़ बनाया है। जिनके दिलों में ईमान होता है वही अल्लाह के घरों को आबाद करते हैं। नबी करीम (सल्लललाहु अलैहि वसल्लम) ने हिज्रत के फ़ौरी बाद सबसे पहले मस्जिद तामीर करवाई। फ़ज़ील तुल-शेख़ सलह बिन मुहम्मद बिन इबराहीम ऑल तालिब ने मस्जिद हज़रत आक़िल हुसामी के इफ़्तेताह के मौके पर ये कलिमात अदा किए।

इमामे हरम की आमद से पहले ही मस्जिद के अलावा मदर्रिसा जामिआ इस्लामीया दारुल-उलूम हैदराबाद का सेहन मुकम्मिल पुर हो चुका था। इमामे हरम ने नमाजे मग़रिब की इमामत की। बादअज़ां मुख़्तसर तक़रीब मुनाक़िद हुई जिसमें इमामे हरम को तहनियत पेश की गई। उन के सात तशरीफ़ लाए मेहमानान अबदुलमुहसिन बिन मुहम्मद बिन इबराहीम ऑल तालिब, फ़हद बिन अली बिन मुसफिर के अलावा सऊदी सिफ़ारतकार बराए मज़हबी उमोर मुतय्यना हिंद अहमद बिन अली बिन सुलेमान अलरोमी को भी तहनियत पेश की गई।

मस्जिद हज़रत आक़िल हुसामी के इफ़्तेताह के मौके पर डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर मुहम्मद महमूद अली, मुहम्मद अली शब्बीर क़ाइद अप्पोज़ीशन तेलंगाना क़ानूनसाज़ कौंसल, असदुद्दीन ओवैसी, अबदुलक़य्यूम ख़ान डायरेक्टर जनरल महिकमा इंसिदाद रिश्वत सतानी, हामिद मुहम्मद ख़ान, मौलाना हाफ़िज़ पीर शब्बीर अहमद, अल्हाज मुहम्मद सलीम, मौलाना सय्यद अहमद उल-हुसैनी सईद कादरी सदर और दुसरे मौजूद थे।

मुंतज़मीन मौलाना मुहम्मद रहीमुद्दीन अंसारी, मौलाना मुहम्मद हुसामुद्दीन सानी जाफ़र पाशाह, मौलाना अज़ीमुद्दीन अंसारी के अलावा दुसरें ने मेहमानों को तहनियत पेश करते हुए उनका ख़ौरमक़दम किया।

इमामे हरम ने अपने ख़िताब के दौरान कहा कि वो सरज़मीन दक्कन-ओ-हिन्दुस्तान के शहरीयों के लिए मलिक सलमान बिन अबदुलअज़ीज़ का पयाम अमन और नेक तमन्नाएं लेकर आए हैं। उन्होंने हिन्दुस्तानी शहरीयों को उलमाए हरमैन शरीफ़ैन की तरफ से भी सलाम-ओ-नेक तमन्नाएं पेश कीं।

इस मौके पर उन्हों ने दुआ की के अल्लाह जिस तरह हमें मसाजिद में जमा कर रहा है इसी तरह बरोज़ मह्शर जमा करे। उन्होंने अपने ख़िताब के दौरान बताया कि सारी दुनिया नूर हिदायत की मुहताज है और इस्लाम सारे आलम के लिए रहमत वाला दीन है। क़ुरआन और साहब-ए-क़ुरआन से दूरी के सबब दुनिया ख़सारे में है और सबसे ज़्यादा नुक़्सान मुसलमानों का हो रहा है। इमामे हरम ने अपने ख़िताब के दौरान कहा कि दुनिया में आज ताक़तवर तरीन ममालिक समझे जानेवाले दुनिया को अमन-ओ-आश्ती का गहवारा बनाने से क़ासिर नज़र आरहे हैं जबकि हक़ीक़त ये है कि इस्लाम के दामन में ही सुकून हासिल होगा और ईसी के ज़रीये अमन-ओ-आश्ती बरक़रार रहेगी।

उन्होंने मुसलमानों से अपील की के वो अपने इख़तेलाफ़ात को बालाए ताक़ रखते हुए इत्तेहाद का सबूत दें और जो ताक़तें इंतिशार फैलाने की कोशिश कर रही हैं इन से दूर रहीं। इमामे हरम ने बताया कि ख़ुराफ़ात, दहश्त, शिद्दत का ताल्लुक़ इस्लाम से नहीं है और ना ही इस्लाम ने उन की तालीम दी है। इस्लाम की शबिया बिगाड़ने के लिए जो लोग कमरबस्ता हैं वो दरहक़ीक़त क़ुरआन-ओ-हदीस से दूर हैं।