30 जनवरी 1948 को गांधी जी की हत्या नाथूराम गोडसे ने की। गोडसे पहले आरएसएस में था, फिर हिन्दू महासभा में गया। गांधी जी की हत्या पर सबसे प्रमाणित पुस्तक तुषार गांधी की है, Let Us Kill Gandhi, लेट अस किल गांधी। 1000 पृष्टों की यह महाकाय पुस्तक ह्त्या के षडयंत्रो, हत्या, मुक़दमे की विवेचना और इसके ट्रायल के बारे में दस्तावेजों सहित सभी बिन्दुओं पर विचार करती है।सावरकर भी षडयंत्र में फंसे थे। पर अदालत से वह बरी हो गयी। हिन्दू राष्ट्र की मांग को, कोई व्यापक समर्थन, न तो आज़ादी के पहले मिला और न बाद में। सावरकर धीरे धीरे नेपथ्य में चलते गये और 26 फरवरी, 1966 में अन्न जल त्याग कर उन्होंने संथारा कर प्राण त्याग दिया।

लेकिन, सावरकर पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने 1857 के विप्लव को एक अलग दृष्टिकोण से देखा। अंग्रेज़ उस विप्लव को sepoy mutiny, सिपाही विद्रोह कहते थे, पर सावरकर ने प्रथम स्वाधीनता संग्राम कह कर देश के स्वाधीन होने की दबी हुई इच्छा को स्वर दे दिया। 1911 में गिरफ्तार जेल जाने के पूर्व आज़ादी के लिये वह पूर्णतः समर्पित थे। पर 1911 से 21 तक के बदलाव ने उनकी दिशा और दशा दोनों ही बदल दी। आज 28 मई को उनका जन्मदिन है। उनसे जो बन पड़ा उन्होंने देश के लिये किया। इतिहास निर्मम होता है। वह सब कुछ दिखाता है, बशर्ते हम देखना चाहें।

यह लेख लेखक की फ़ेसबुक वाल से लिया गया है, जिसमे आंशिक सम्पादन के साथ इसे प्रकाशित किया गया है