सिकंदराबाद हल्क़ा पार्लीयामेंट का हैरत अंगेज़ और दिलचस्प नतीजा मुम्किन

हल्क़ा लोक सभा सिकंदराबाद के चुनाव पर तमाम बड़ी पार्टियों ने अपनी तवज्जा मर्कूज़ करदी हैं। ये लोक सभा हल्क़ा कई एतबारात से अहमियत का हामिल है और तवक़्क़ो की जा रही है कि मुजव्वज़ा इंतिख़ाबात में इस हल्क़ा के राय दहिन्दे तबदीली के हक़ में फैसला सुनाएंगे।

अक़लीयतों, ईसाई, कमज़ोर तबक़ात और सीमा आंध्र से ताल्लुक़ रखने वाले राय दहिन्दों की काबिले लिहाज़ आबादी पर मुहीत इस हल्क़ा में हैरत अंगेज़ और दिलचस्प नताइज की उम्मीद है। सिकंदराबाद के तहत 7 असेंबली हल्क़ों में मुसलमान, ईसाई और सीमा आंध्र के राय दहिन्दे फैसलाकुन ताक़त रखते हैं।

इस एतबार से वाई एस आर कांग्रेस पार्टी को इस हल्क़ा से मुसबत नताइज की उम्मीद है। कांग्रेस और तेलुगु देशम जो रिवायती तौर पर इस हल्क़ा पर अपनी दावेदारी पेश करते रहे हैं, इस मर्तबा इन्हें वाई एस आर कांग्रेस पार्टी की हिक्मते अमली के बाइस उलझन का सामना है।

गुज़िश्ता दो मीयादों से कांग्रेस का इस हल्क़ा पर क़ब्ज़ा है जबकि इस से क़ब्ल दो मर्तबा मुसलसल बी जे पी ने इस हल्क़ा की नुमाइंदगी की। आंध्र प्रदेश की तक़सीम के बाद तब्दील शूदा सियासी हालात में वाई एस आर कांग्रेस पार्टी ने सिकंदराबाद लोक सभा के इलावा बाअज़ दीगर ऐसे हल्क़ों में बेहतर मुज़ाहिरे की हिक्मते अमली तैयार की है जहां अक़लीयतों के इलावा सीमा आंध्र से ताल्लुक़ रखने वाले राय दहिन्दों की ख़ासी तादाद मौजूद हैं।

जिन में 1957 से 1967 तक दो मर्तबा कांग्रेस के टिकट पर अहमद मही उद्दीन मुंतख़ब हुए जबकि 1967-71 की मीआद में बाक़र अली मिर्ज़ा कांग्रेस के टिकट पर मुंतख़ब हुए। सीनियर क़ाइद एम एम हाशिम 1971 में पहली मर्तबा तेलंगाना प्रजा समीति और 1977 में दूसरी मर्तबा कांग्रेस के टिकट पर इस हल्क़ा से मुंतख़ब हो चुके हैं।