सिख दंगों की बराबरी गुजरात से नहीं की जा सकती: अमर्त्य सेन

मशहूर economist अमर्त्य सेन ने कहा है कि गुजरात में 2002 में हुए दंगों की बराबरी सिख मुखालिफ दंगों से नहीं की जा सकती उन्होंने इंफोसिस चीफ एनआर नारायण मूर्ति के उस बयान को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि मोदी के वज़ीर ए आज़म बनने के रास्ते में गुजरात दंगे रुकावट नहीं बनने चाहिए |

नोबेल अवार्ड फातेह सेन ने हालांकि 1984 दंगों के लिए जिम्मेदार लोगों को इंसाफ के कठघरे में न लाने को बहुत शर्मनाक बताया सिख दंगों और गुजरात दंगों में फर्क बताते हुए उन्होंने कहा कि इलेक्शन लडऩे वाले कांग्रेसी लीडर मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और राहुल गांधी सिख मुकालिफ दंगों के जिम्मेदार नहीं थे किसी ने उन पर इसका इल्ज़ाम नहीं लगाया लेकिन गुजरात में दंगों के वक्त मोदी वज़ीर ए आला थे |

सेन पहले भी कह चुके हैं कि वह नहीं चाहते कि मोदी हिंदुस्तान के वज़ीर ए आज़म बनें, क्योंकि उनकी साख सेक्युलर नहीं है एक चैनल को दिए इंटरव्यू में सेन ने कहा कि सिख मुखालिफ दंगे कांग्रेस के असूलों के मुताबिक नहीं हैं| वहीं गुजरात में मुसलमानों के साथ हुए सुलूक से सवाल उठता है कि क्या उनके साथ दूसरे दर्जे के शहरियों जैसा बर्ताव किया गया था | यह मसला मुसलसल जारी है|

साथ ही कहा कि नारायण मूर्ति उनके अच्छे दोस्त हैं, लेकिन इस मुद्दे पर वह उनसे राज़ी नहीं हैं जब उनसे पूछा गया कि हालिया पांच रियासतों के विधानसभा इंतेखाबात के नतीजों में मोदी लहर दिखती है या कांग्रेस मुखालिफ लहर जिस पर वह सवार हैं ? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि कांग्रेस चुक गई है शायद इसलिए वहां कांग्रेस मुखालिफ लहर है |

जहां तक मोदी का सवाल है कांग्रेस में कियादत को लेकर ऊहापोह की हालात है ऐसे में कोई भी मजबूत लीडर होगा तो उसे फायदा मिल जाएगा जब उनसे पूछा गया कि क्या कांग्रेस को रस्मी तौर पर राहुल गांधी को अपना वज़ीर ए आज़म के ओहदे का उम्मीदवार ऐलान करना चाहिए ? सेन ने कहा, वादा करके कोई इलेक्शन नहीं जीता जा सकता मुझे नहीं मालूम कि इलेक्शन जीतने के लिए इस वक्त कांग्रेस की क्या पालिसी है |