पटना 8 मई : दारुल हुकूमत की लाइफ लाइन कही जानेवाली सिटी बसें दम तोड़ रही हैं। ज़्यादातर बसों के शीशे टूटे हुए हैं, सीट फटी हुई है। अंदर और बाहर से बस के लोहे तकरीबन सड़ गये हैं। हेडलाइट कभी जलती है तो कभी नहीं।
ऐसी सूरत में बस दारुल हुकूमत की सड़कों पर फर्राटे से दौड़ रही है। इन बसों पर आरटीओ के अफसर कार्रवाई करने में आनाकानी करते हैं। ऐसे में बस में सवार मुसाफिरों की जिंदगी दावं पर है।
यही नहीं इन बसों को चलाने वाले ड्राइवर भी ट्रेंड नहीं हैं। खस्ताहाल बसों से होने वाले हादसों का इख़्तियार अद्दाद व शुमार तो ट्रैफिक पुलिस के पास नहीं है, मगर ट्राफिक अफसरान के मुताबिक इससे हर महीने आधा दर्जन छोटे-बड़े हादसे हो रहे हैं।
18 रास्तों पर 210 इख्तियार बसें
करीब 20-25 किमी के दायरे में फैले सरे शहर में कुल 18 रूट इन बसों के लिए तय हैं। इन पर इख्तियार 210 बसें चलती हैं। लेकिन, कुछ बसें ऐसी भी हैं, जो सुबह-दोपहर स्कूलों के लिए और फिर सिटी बस के तौर पर चलती हैं। अगर इन बसों को भी शामिल कर लिया जाये, तो इनकी तादाद 350 के करीब पहुंच जायेगी।
हवा से बात करते हैं अनट्रेंड ड्राईवर
सिटी बस चलाने वाले अनट्रेंड ड्राईवर हवा से बातें करते हैं। गुजिस्ता महीने में एक सिटी बस बेली रोड में एलएन मिश्र इंस्टीट्यूट के पास तेज रफ्तार की वज़ह से पलट गयी, जिसमें एक दर्जन अफराद ज़ख़्मी हो गये थे। वाकिया के बाद पुलिस ने बस को जब्त कर लिया। पुलिस भी इस बात को दबे जुबान इकरार करती है कि सिटी बस के ड्राईवर लापरवाही से बस चलाते हैं।