6 जनवरी: कॉलेजों में ख़वातीन के साथ नागवार रवैय्या को बिलकुल बर्दाश्त ना करने पर ज़ोर देते हुए मर्कज़ी वज़ीर बराए फ़रोग़ इंसानी वसाइल पल्लम राजू ने कहा कि सनफ़ी हसासीयत (लैँगिक संवेदनशीलता) जैसे मसाइल, स्कूली तालीम के निसाब में शामिल किए जाने चाहिऐं।
उन्होंने कहा कि ये इंतिहाई अहम है, क्योंकि इस से नौजवान नसल को ख़वातीन और समाज में उन के मुक़ाम के बारे में बाअहतराम नुक़्ता-ए-नज़र इख़तियार करने में मदद मिलेगी।
ख़वातीन के साथ नामुनासिब रवैय्ये को बिलकुल बर्दाश्त ना करने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा कि वो यूनीवर्सिटी ग्रान्ट्स कमीशन के सदर नशीन से बातचीत करके उन से ख़ाहिश करचुके हैं कि कॉलेजों और यूनीवर्सिटीयों में ये इक़दाम किया जाये।
उन्होंने कहा कि हमें तालीमी इदारे ख़वातीन के लिए यक़ीनी तौर पर महफ़ूज़ बनाने के इक़दामात करने होंगे। दिल्ली इजतिमाई इस्मत रेज़ि वाक़िये के पस-ए-मंज़र में यू जी सी को हिदायत दी गई है कि आला तालीम के तमाम इदारों को अपने सयानती इंतिज़ामात बराए ख़वातीन मुस्तहकम बनाने के लिए फ़ौरी इक़दामात करें।