सिमी एक्टिविस्ट- एक वीडियो पुलिस को कैदी को शूट करते हुए दर्शाती है, दूसरी उनकी की हुई बातें

तथाकथित भोपाल एनकाउंटर के दो वीडियो आधिकारिक घटना पर सवाल खड़ा करते हैं। और एनकाउंटर किये जाने वाले आठ कैदियों में से सात कैदियों के वकील को प्रोत्साहित करता है।

एक वीडियो जो की आपरेशन में शामिल पुलिस अधिकारी द्वारा घटनास्थल पर बनाया गया है वो एनकाउंटर के कुछ घण्टो बाद सामने आया। पुलिस अधिकारी के अनुसार एनकाउंटर सोमवार रात 10.30 से 11.30 के बीच में किया गया।

जबकि दूसरी वीडियो में सामने आया है कि एनकाउंटर में शामिल पुलिस अधिकारी मृत शवों में से हथ्यार तलाश रहा है। तभी एक साधारण कपड़ों वाला व्यक्ति कैमरे के सामने आता है और एक मृत शव के कमरबंद में से नया दिखने वाला चाक़ू निकालता है।

वीडियो में सामने आया है कि वर्दी में एक पुलिस अधिकारी एक कैदी पर गोली चला रहा है इसी बीच में चिल्लाने की आवाज़ आती है, कोई इसको बताओ की और गोलियाँ चलाये। तभी एक पुलिस अधिकारी बोलता है, “अरे इसकी कोई वीडियो बनाता है क्या”। वीडियो से लगता है कि उस व्यक्ति को मार दिया गया है।

जब इंडियन एक्सप्रेस ने घटनास्थल पर जाकर देखा तो मृत शव एक साथ रखे हुए थे, जबकि वीडियो में इधर इधर पड़े हुए दिखाये गये हैं। दूसरी वीडियो में पुलिस अधिकारी कैदियों में से पांच कैदी जो ऊँची चट्टानों पर खड़े हैं उनसे समझौता करते नज़र आये हैं। दूर से शूट करने के कारण ये वीडियो में साफ़ नहीं है कि कैदियों के पास हथ्यार थे या नहीं, लेकिन हाथ ऊपर उठे हुए वीडियो में नज़र आये हैं। वीडियो पर सवाल उठने के बाद भोपाल के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह और आईजी योगेश चौधरी ने कहा कि यह सब जांच में शामिल कर लिया जायेगा।

गृहमंत्री ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की यह बात की कैदियों के पास हथ्यार नही थे, फिर यह बात की कैदियों द्वारा हमला किया गया से असहमति को बताते हुए कहा कि, वो लोग घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे जो उन्होंने सुना है वही बताया है। वीडियो के बारे में पूछने पर गृहमंत्री द्वारा बताया गया वह लोग भयानक आतकंवादी थे अगर उनको मारा ना गया होता तो वह विनाश का कारण बनते क्योंकि उनके ऊपर एटीसी कांस्टेबल को मारने का आरोप था। चौधरी ने कहा कि पुलिस द्वारा 46 बार गोली चलाई गई जिसमें कुछ पुलिस अधिकारी भी घायल हुए हैं।

एड्वोकेट परवेज़ आलम ने एनकाउंटर को बेरहमी से हत्या करार देते हुए बताया कि कोई भी अगर वीडियो को ध्यान से देखेगा तो पायेगा की उसमे बहुत छेड़छाड़ की गयी है और आसानी से पुलिस की तथाकथित कहानी पर संदेह किया जा सकता है। आगे उन्होंने कहा कि हम हाई कोर्ट में इसके खिलाफ अपील करेंगे और निष्पक्ष जांच की मांग करेंगे।

आगे उन्होंने कहा कि अगर कैदी दिन के 2.30 बजे जेल से फरार हुए तो फिर वो रात को 10.30 से 11.30 के बीच एकसाथ कैसे पकड़े गए । और ऐसा कैसे सम्भव है कि फरार होने के बाद वो लोग एक ही जगह एक ही साथ पुलिस का इंतज़ार कर रहे थे की पुलिस आये और उन का एनकाउंटर करे।

भोपाल की एक और वकील ज़ीनत अनवर जो की कैदियों में से दो मुजीब शेख एवं शेख मेहबूब का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, उन्होंने बताया कि अभी तक मेरा इनके परिवार से संपर्क नहीं हो पाया है जबकि एक और कैदी ज़ाकिर हुसैन के घर से फ़ोन आया था पूछने के लिए जो घटना उन्होंने सुनी है वो सही है या गलत।
अब जब तक इनलोगों के परिवार वालों से सम्पर्क नहीं हो पाता है या जब तक वो लोग यहां नहीं आ पाते है तब तक हम कोई कार्यवाही नहीं कर पाएंगे।