सियाचिन पर किसी ड्रामाई फ़ैसला का इमकान नहीं

सियाचीन के मसला पर पाकिस्तान से मुज़ाकरात ( आपसी बातचीत) से क़बल वज़ीर-ए-दिफ़ा (रक्षा मंत्री) ए के अनटोनी ने आज वाबस्ता तवक़्क़ुआत में कमी करते हुए कहा कि कोई ड्रामाई ऐलान या फ़ैसला की तवक़्क़ो ( भरोसा) नहीं रखी जानी चाहीए। उन्होंने कहा कि हिंदूस्तान ईस्लामाबाद में 11 से 12 जून मोतमिद दिफ़ा सतह के मुज़ाकरात में अपने मौक़िफ़ पर क़ायम रहेगा।

उन्होंने अपनी बात की वज़ाहत (स्पष्टीकरण) नहीं की, लेकिन वो वाज़िह तौर पर हिंदूस्तान के मौक़िफ़ का इआदा कर रहे थे कि सियाचीन में दोनों ममालिक की जानिब से मौजूदा फ़ौजी ताय्युनाती के मौक़िफ़ को मुनासिब जवाब हासिल होने चाहीए।

फ़ौज के तीनों शोबों के खिलाड़ियों की तहनीती तक़रीब के बाद प्रेस कान्फ्रेंस से ख़िताब करते हुए वज़ीर-ए-दिफ़ा ने पाकिस्तान के साथ बातचीत के मौक़ा पर हिंदूस्तान के इख्तेयार किए जाने वाले मौक़िफ़ की वज़ाहत कर दी। उन्होंने परज़ोर अंदाज़ में कहा कि सियाचीन मसला पर हिंदूस्तान का मौक़िफ़ बिलकुल वाज़िह है।

जुनूबी बहर-ए-चीन में तनाज़आत ( झगड़ा) के पस-ए-मंज़र के बरअक्स ( विपरीत) वज़ीर-ए-दिफ़ा ए के अनटोनी ने आज कहा कि हिंदूस्तान बैन-उल-अक़वामी आबी हुदूद में बलारकावट/ बिनारुकावट आज़ादाना ( स्वतंत्रतापूर्वक) जहाज़रानी (जहाज़ चलाने ) का ख़ाहां है। अख़बारी नुमाइंदों से बातचीत के दौरान उन्हों ने ये भी कहा कि ममालिक के दरमयान जहाज़रानी के बारे में तनाज़आत ( झगड़े) की यकसूई (सारे झंझटो से निवृत्ती) बातचीत और तबादला-ए-ख़्याल के ज़रीया होनी चाहीए, जिस में किसी तीसरे फ़रीक़ ( पक्ष) की मुदाख़िलत की इजाज़त नहीं दी जानी चाहीए।

हिंदूस्तान का ये पुख़्ता यक़ीन है कि बैन-उल-अक़वामी आबी हदूद में तमाम ममालिक ( देशों) को बलारकावट ( बिनारुकावट) आज़ादाना जहाज़रानी ( आजादी से जहाज चलाने) की इजाज़त होनी चाहीए। हिंदूस्तान और चीन के दरमयानी तनाज़आत की यकसूई (सारे झंझटो से निवारण) के बारे में उन्होंने कहा कि तीसरे फ़रीक़ ( पक्ष) की मुदाख़िलत के बगै़र बाहमी तनाज़आत ( झगड़ा) की बाहमी बातचीत और तबादला-ए-ख़्याल के ज़रीया यकसूई की जा सकती है। अमेरीकी फ़ौज की तैनाती के बारे में रद्द-ए-अमल ( प्रतिक्रिया) ज़ाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि वो इस बारे में ज़्यादा कुछ नहीं कह सकते।