सियासतदां अहमक़ : सी एन आर राव

भारत रत्न एवार्ड याफ़्ता मुमताज़ साईंसदाँ सी एन आर राव ने साईंसी बिरादरी को ख़ातिरख़वाह फंड्स की अदम फ़राहमी पर नाराज़गी का इज़हार किया और बरहमी के आलम में सियासतदानों को अहमक़ क़रार दिया जो इस अहम तरीन शोबे को इंतिहाई क़लील रक़म फ़राहम कररहे हैं ।

प्रो. सी एन राव को मुल्क के आला तरीन एज़ाज़ देने का कल एलान किया गया और दूसरे दिन प्रेस कान्फ़्रेंस से ख़िताब करते हुए उन्होंने तहक़ीक़ी शोबे के लिए मज़ीद वसाइल फ़राहम करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया । वो वज़ीर-ए-आज़म की साईंसी मुशावरती कौंसल के सदर नशीन भी हैं । उन्होंने कहा कि साईंसी शोबे को हुकूमत ने जो रक़म फ़राहम की है हम ने इस से ज़्यादा काम कर दिखाया है। जब उनसे पूछा गया कि मुल्क में साईंसी तहक़ीक़ के शोबे के मेयार के बारे में उनका क्या एहसास है तो उन्होंने जवाब दिया कि हुकूमत इस शोबे को जो रक़म दे रही है हम इस से ज़्यादा काम कररहे हैं।

एक मरहले पर वो बेक़ाबू हो गये और बरहमी के आलम में कहा कि आख़िर ये अहमक़ सियासतदां इस क़दर कम रक़म क्यों फ़राहम करते हैं जबकि हम साईंसदाँ बहुत कुछ कर दिखाते हैं। उन्होंने कहा कि जो कुछ रक़म हमें मिलती है वो हमारे मुज़ाहिरे के सामने बिलकुल नाकाफ़ी और कम है।

जब उनसे चीन की तरक़्क़ी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमें ख़ुद अपने आप को मौरिद इल्ज़ाम क़रार देना चाहीए। हम हिंदुस्तानी सख़्त मेहनत नहीं करते हम चीनी अवाम की तरह नहीं हैं हम हर मुआमले में सरसरी तर्जे अमल इख़तियार करते हैं और हमारा रवय्या ऐसा होता है गोया हम क़ौम परस्त नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि अगर हमें कुछ ज़्यादा दौलत मिल जाये तो बैरून-ए-मुल्क जाने के लिए भी तैयार हो जाते हैं। उन्होंने इन्फ़ार्मेशन टेक्नालोजी (आई टी) के बारे में भी कहा कि इस का साईंस से कोई ताल्लुक़ नहीं है और मुल्क में साईंसी शोबे में ख़ातिरख़वाह दिलचस्पी नहीं पाई जाती। उन्हों ने वाज़िह तौर पर कहा कि आई टी का साईंस से कोई ताल्लुक़ नहीं ये सिर्फ़ चंद अफ़राद से वाबस्ता है जो दौलत जमा कररहे हैं और ये नाख़ुश अफ़राद पर मुश्तमिल एक ग्रुप है।

प्रो. सी एन आर राव ने कहा कि आए दिन वो अख़बारात में देखते हैं कि किसी ने ख़ुदकुशी करली कोई हलाक होगया और कोई अपनी ज़िंदगी से मायूस है क्योंकि उस की ज़िंदगी मुसीबतों में घिरी हुई है लेकिन मुझे देखिए 80 बरस का होने के बावजूद में आज भी ख़ुश हूँ मुझे किसी तरह की शिकायत नहीं। वो समझते हैं कि ख़ुशी-ओ-इतमीनान का ताल्लुक़ बिलकुल अलग नौईयत का होता है। आप जो भी काम कररहे हूँ इस से लुत्फ़ अंदोज़ होना चाहिए। यक़ीनन जो अपने काम से लुत्फ़अंदोज़ नहीं होता वो परेशान रहता है। हिंदुस्तान के मुस्तक़बिल को महफ़ूज़ बनाने के लिए साईंस और तालीमात में ज़्यादा सरमाया कारी ज़रूरी है।

ये सिर्फ़ मुलक के सेंसक्स और बिज़नस के लिए ही बेहतर नहीं बल्कि तवील मुद्दती बुनियाद पर हिंदुस्तान के मुस्तक़बिल के लिए भी ज़रूरी है। साईंस ही आगे बढ़ने का रास्ता है। उन्हें ख़ुशी है कि आज़ाद हिंदुस्तान के अव्वलीन वज़ीर-ए-आज़म पण्डित नहरू को भी इस पर यक़ीन था, लेकिन बदक़िस्मती से साईंस के शोबे की मदद हसबे तवक़्क़ो नहीं है। उसे कहीं ज़्यादा बेहतर बनाना चाहिए। हुकूमत को ये काम करना चाहिए, क्योंकि दीगर अफ़राद इस सिलसिले में ज़्यादा काम नहीं कररहे हैं। ख़ानगी अफ़राद सिर्फ़ दो फ़ीसद सरमाया कारी कररहे हैं।